कामगारों के पैसे से पांडु नगर में 361 करोड़ की लागत से जिस सुपरस्पेशिएलिटी कॉप्लेक्स के निर्माण पर ब्रेक लगा है. उसके निर्माण पर बीते सालों में करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं. फिर भी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निर्माण ही आज तक पूरा नहीं हो सका. ईएसआई हॉस्पिटल कैंपस में 80 करोड़ के जेनरेटर, ट्रांसफार्मर, एसी प्लांट इत्यादि खराब होने की शिकायत पहले ही ईएसआईसी कार्पोरेशन में हो चुकी है.
मेडिकल कॉलेज से सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल और अब यह प्रोजेक्ट पुराने अस्पताल के रेनोवेशन व 50 बेड की छोटी स्पेशिएलिटी यूनिट में सिमट चुका है, लेकिन करोड़ों की बर्बादी का जिम्मेदार कौन है इसकी जिम्मेदारी तय नहीं हुई. अलबत्ता अधिकारी प्रोजेक्ट पर ब्रेक लगने के कई बहाने जरूर गिना रहे. हालांकि ईएसआई से जुड़े अधिकारी भी कई वजहें गिना रहे हैं, जिसमें सुपरस्पेशिएलिटी फैकल्टी की दिक्कत, लाभार्थियों की सीमित संख्या भी है. हालांकि करोड़ों की बर्बादी पर कई और भी गंभीर सवाल उठे हैं. क्योंकि ईएसआई के इस प्रोजेक्ट में बार-बार बदलाव होते रहे हैं.
ईएसआई के क्षेत्रीय निदेशक एपी त्रिपाठी कहते हैं कि सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल का काम रोका गया है. क्योंकि अस्पताल के लिए फैकल्टी का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा था. साथ ही जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में भी सुपरस्पेशिएलिटी ब्लॉक का निर्माण होना है. हम मौजूदा अस्पताल में ही 50 बेड की स्पेशिएलिटी यूनिट बनाने पर विचार कर रहे हैं.