मुम्बई में करते थे नौकरी
बहराइच के मकसूदपुर गांव निवासी खुशबुद्दीन अपने छोटे भाई सलाउद्दीन और चाचा इकबाद के साथ मुम्बई स्थित एक नौकरी करता था। कोरोना के संक्रमण के बाद लॉकडाउन लागू हुआ, तो वह अपने चाचा इकबाल और भाई सलाउद्दीन के साथ वहीं पर फंस गया। कई दिनों तक गुजरबसर करने के बाद जब उसके पास जमा रकम खत्म हो गई तो तीनों दो दिनों तक पानी के सहारे जिंदगी को बचाए रखा। मौत को नजदीक आते देख खुशबुद्दीन अपने चाचा व भाई को लेकर पैदल ही निकल पड़ा।
14 मई को चले थे तीनों
ख्सलाउद्दीन ने बताया कि 13 मई को हमें जानकारी मिली कि एक ट्रक कानपुर जा रहा था। रात में झोपड़ी छोड़ दी और सुबह ट्रक चालक से मिले। 9 हजार रूपए लेकर चालक ने ट्रक पर बैठाया। 14 मई को हम तीनों लोग ट्रक पर सवार हुए और घर की तरफ चल दिए। सलाउद्दीन ने बताया कि रास्ते में खुशबुद्दीन को बुखार आ गया। रास्ते में एक जगह गाड़ी रूकी तो तो उसे दवाई दिलाई, लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। इन्हीं हालातों में सफर चलता रहा। देर रात रामादेवी चैराहा के पास ट्रक चालक ने उतार दिया।
फिर हो गई मौत
सलाउद्दीन ने बताया कि बुखार के साथ ही भाई की छाती में दर्द होने लगा। हालत बिगड़ती देख साथ चल रहे लोगों ने पुलिस से संपर्क किया। पुलिस उसे ई रिक्शे पर लादकर अस्पताल पहुंची। अस्पताल गेट पर ही भाई ने दम तोड़ दिया। मृतक के भाई ने बताया कि रामदेवी स्थित पुलिस से हमलोगों ने मदद मांग, पर वह नहीं आए। करीब दो घंटे तक भाई तड़पता रहा। यदि पुलिसकर्मियों ने मेरे भाई को समय पर अस्पताल भिजवा दिया होता तो शायद उसकी जान बच जाती।
सभी की होगी जांच
एसपी पूर्वी राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि मृतक अपने चाचा और भाई के साथ मुंबई से आ रहा था। रामादेवी चैराहा पर उतरने के दौरान यहां ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को बुखार आने की बात कही गई। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां पहुंचने से पहले उसकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा कि डॉक्टर ने कोरोना संक्रमण का संदेह जताया है। सैंपल लेने के साथ ही जिससे कोविड-19 संक्रमण प्रोटोकाल का पालन करते हुए अंतिम संस्कार कराया जा रहा है।