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अपने घर वापस आए भावुक श्रमिकों ने कहा सीएम योगी का कभी नहीं भूलेंगे उपकार

locationकानपुरPublished: May 03, 2020 03:58:47 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

लाॅकडाउन के बाद अहमदाबाद से चलकर कानपुर सेंट्रल पहुंची स्पेशन ट्रेन, करीब 1200 श्रृमिकों के चेहरों में आई मुस्कान, सबने सीएम का जताया अभार, बसों के जरिए गृहजनपद के लिए रवाना।

अपने घर वापस आए भावुक श्रमिकों ने कहा सीएम योगी का कभी नहीं भूलेंगे उपकार

अपने घर वापस आए भावुक श्रमिकों ने कहा सीएम योगी का कभी नहीं भूलेंगे उपकार

कानपुर। लॉक डाउन के बीच सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी श्रमिकों के साथ ही दूसरे शहर में फंसे छात्रों को उत्तर प्रदेश में लाने का बीणा उठाया। जिसके तहत रविवार को पहली प्रवासी स्पेशल ट्रेन 1200 श्रमिकों को गुजरात के अहमदाबाद से लेकर सेन्ट्रल स्टेशन पहुंची। अपने भूमि पर कदम रखते ही सभी के चेहरों में मुस्कान आ गई। जहानाबाद के पूरेराहतअली गांव निवासी परवाना और उनके पति शराफतअली के साथ ही अन्य श्रृमिकों ने कहा कि सीएम योगी के चलते हमसभी को नया जीवन मिला है। इनका ये उपकार पूरी जिंदगी याद रखेंगे।

खिले चेहरे
सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर अहमदाबाद से 1200 श्रृमिकों को लेकर चली स्पेशल ट्रेन रविवार की सुबह 9 बजे 9 प्लेफार्म पर रूकी। स्टेशन के डाॅयरेक्टर हिमांशु शेखर, सुरक्षा बल के सहायक आयुक्त आरएन पांडेय ने श्रृमिकों की आगवाई की। श्रृमिकों ने धरती के पैर छूकर सीएम योगी आदित्यनाथ, रेलवे के साथ ही पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को धन्यवाद दिया। लंबे सफर के बाद श्रृमिकों के चेहरों में थकान के बजाए मुस्कान दिख रही थी। रेलवे की तरफ से सारी व्यवस्थाएं पहले से ही कर ली गई थीं।

बताया मसीहा
फतेहपुर की जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र के पुरेराहतअली गांव निवासी परवाना ने बताया कि उनके पति और देवर सूरत में एक फैक्ट्री में काम करते थे। लाॅकडाउन के चलते फैक्ट्री बंद हो गई और उसमें काम करने वाले सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए। जो पैसा था उससे पंद्रह दिनों तक खर्चा चलाया। परवाना ने बताया कि पैसे खत्म हो जाने से एक साल का बेटा तीन दिनों तक भूखा रहा। पड़ोसियों ने कुछ हद तक मदद की, जिसके चलते हम जिंदा बच सके। सूरत से अपने गांव आने की हमसभी ने उम्मीद छोड़ दी और अपने को मरा समझ रहे थे। पर सीएम योगी आदित्यनाथ के चलते मेरे साथ ही 1200 से ज्यादा श्रृमिकों को नई जिंदगी मिली है।

रो पड़े लल्लू
मझावन निवासी लल्लू जैसे ही सेंट्रल स्टेशन पर उतरे तो खुशी में वह रो पड़े। लल्लू ने बताया कि वह छह साथियों के साथ पकड़ा मिल पर काम करते थे। फैक्ट्री में तालेबंदी के बाद हालात बहुत खराब हो गए। जो पैसा था उसी से एक वक्त का भोजन पकता था। वहां के प्रशासन की तरफ से हमें मदद नहीं मिली। पिछले कई दिनों से भोजन के लाले पड़ गए। पड़ोसियों की रोटी के चलते जिंदगी बची। लल्लू के साथ अन्य श्रृमिकों ने लाॅकडाउन के बीच काटे गए दिनों को याद कर सिहर उठे। सबने एक स्वर में सीएम योगी आदित्यनाथ का अभार जताते हुए उन्हें मसीहा बताया।

कराया गया भोजन
रेलवे और जिला प्रशासन की ओर से यात्रियों के लिए पानी की बोतलें मुहैया कराई गई। वहीं कुछ समाजसेवी संस्थाओं ने यात्रियों को भोजन वितरण किया। यात्रियों ने बताया अहमदाबाद से कानपुर आने के लिए उन लोगों से सामान्य श्रेणी का रेलवे ने किराया लेकर टिकट दिया। जिसके बाद वह लोग शहर आ सके। राजेश ने बताया कि लाॅकडाउन के कारण रोजगार छिन गया। अब हम कभी भी दूसरे शहर नहीं जाएंगे। अपने गांव में ही मनरेगा के तहत मजदूरी करेंगे।

45 बसों से घरों के लिए रवाना
डाॅयरेक्टर हिमांशु शेखर ने बताया कि श्रमिकों की जांच से लेकर उनके खानपान की पूरी व्यवस्था रेलवे, आरपीएफ, जीआरपी द्वारा स्टेशन पर की गई है। श्रमिकों की जांच यहां पर बनाए गए आठ स्वास्थ विभाग के काउंटरों पर की गई। डॉक्टरों ने सभी की फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ क्रमबद्ध थर्मल स्कैनिंग की। डाॅयरेक्टर ने बताया कि रोडवेज की 45 बसों से एक-एक कर सभी श्रमिकों को घरों के लिए रवाना किया जा रहा है। अब उन्हें गांवों के स्कूलों पर प्रशासन ने रूकने की व्यवस्था की है।

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