scriptNavratri 2019 : इन छह देवियों के विराजनें की अदभुत है कहानी | Worship in Kanpur 6 goddess temples on navratri 2019 | Patrika News

Navratri 2019 : इन छह देवियों के विराजनें की अदभुत है कहानी

locationकानपुरPublished: Oct 01, 2019 01:56:29 am

Submitted by:

Vinod Nigam

नवरात्रि में इन देवीमंदिरों में जो भी भक्त आता है तो कोई ताला चाभी चढ़ता है तो तो कोई सब्जी, बदले में जल गृहण कर बनता निरोगी।

Navratri 2019 : इन छह देवियों के विराजनें की अदभुत है कहानी

Navratri 2019 : इन छह देवियों के विराजनें की अदभुत है कहानी

कानपुर। नवरात्रि के पावन पर्व पर कानपुर के छह एतिहासिक मंदिरों में सुबह से लेकर देरशाम तक भक्तों का तांता लगा है। मातारानी के दर पर आकर भक्त पूजा-पाठ कर मन्नत मांग रहे हैं। 500 से लेकर 2000 साल पुराने हैं मंदिरों में स्थापित मां की मूर्तियों के विराजने की कहानी रोचक है। मां बारादेवी, मां बुद्धादेवी, मां वैभव लक्ष्मी, मां तपेश्वरी देवी, मां जंगली देवी और मां कुष्मांडा देवी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। मान्यता है कि नवरात्रि पर जो भी भक्त इन देवीस्थलों के दर्शन नियमित कर ले, उसके घर पर दुख-दर्द दूर हो जाते हैं ।

 

 

Navratri 2019 : इन छह देवियों के विराजनें की अदभुत है कहानी

1700 साल पहले मंदिर में विराजी मां
मां बारा देवी यह मंदिर पौराणिक और प्राचीनतम मंदिरों में शुमार है। शहर के जिस इलाके (दक्षिणी इलाके) यह मंदिर बना है, उस इलाके का नाम भी बारा देवी है। एएसआई के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, इस मंदिर में स्थापित मां दुर्गा के स्वरुप की मूर्ति करीब 17 सौ साल पुराना है। मंदिर के पुजारी दीपक कुमार बताते हैं कि एक बार पिता से हुई अनबन पर उनके कोप से बचने के लिए घर से एक साथ 12 बहनें भाग गईं और किदवई नगर में मूर्ति बनकर स्थापित हो गई। पत्थर बनी यही 12 बहनें कई सालों बाद बारा देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गईं।

Navratri 2019 : इन छह देवियों के विराजनें की अदभुत है कहानी

मां सीता ने किया था तप
बिरहना रोड स्थित मां तपेश्वरी देवी मंदिर का नजारा अलग ही दिखता है। मंदिर के पुरोहित राधेश्याम के अनुसार, इस मंदिर को लेकर ये कहा जाता है कि माता सीता लवकुश के जन्म के बाद इसी मंदिर में उनका मुंडन संस्कार भी करवाया था। इसके बाद सीता ने लव-कुश को महर्षि वाल्मीकि को सौंपकर इस मंदिर में तप करने के लिए रुक गई थीं। हालांकि, किसी को नहीं पता कि माता सीता ने यहां कितने दिन तक तप किया था। उनके साथ तीन और बहने थीं। सीता को तप करता देख उन तीनों बहनों ने भी सीता के साथ तप करना शुरू कर दिया था। आज भी यहां चार देवियों की मूर्ति स्थापित है। तप करने की ही वजह से इस मंदिर का नाम तपेश्वरी देवी मंदिर पड़ा है।

Navratri 2019 : इन छह देवियों के विराजनें की अदभुत है कहानी

मंदिर पर चढ़ते हैं ताले
मां काली देवी शहर के बीच में स्थित बंगाली मोहाल मोहल्ले में एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्त अपनी मनोकामना के लिए मां के दरबार में ताला चढ़ाते हैं। मनोकामना पूरी होने पर वहां से ताला खोलकर ले जाते हैं। मंदिर के पुजारी के मुताबिक, इस मंदिर में आने वाला हर भक्त मां के चरणों में ताला चढ़ाता है। ताला खोलते समय भक्तों को थोड़ी परेशानी होती है, क्योंकि मनोकामना पूर्ण होने वाला भक्त कब तक आता है ये कोई नहीं जानता। तब तक वो ताला लगा रहता है। ऐसे में कभी- कभी कई भक्त अपना ताला नहीं खोल पाते। ऐसे में वो अपने ताले का चाभी मां के चरणो में चढ़ाकर और पूजा कर लौट जाते हैं।

Navratri 2019 : इन छह देवियों के विराजनें की अदभुत है कहानी

प्रसाद स्वरुप मिलता खजाना
मां वैभव लक्ष्मी मंदिर प्राचीन मां वैभव लक्ष्मी मंदिर बिरहाना रोड में स्थित है। इस मंदिर का अलग ही महत्व है। नवरात्रि के दौरान आने वाले शुक्रवार को इस मंदिर में श्रद्धालुओं को खजाना दिया जाता है। मां के प्रसाद रूपी खजाने को लेने के लिए मंदिर के बाहर करीब एक किमी तक भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है।मंदिर के प्रबंधक अनूप कपूर के अनुसार, 100 साल पहले साल 1889 में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। तब इस मंदिर में भगवान शंकर और राधा कृष्ण की मूर्ति को स्थापित किया गया था। साल 2000 में इस मंदिर के अंदर मां लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित किया गया।

Navratri 2019 : इन छह देवियों के विराजनें की अदभुत है कहानी

सीजनल सब्जियां चढ़ाई जाती हैं
मां बुद्धा देवी मंदिर कानपुर के सबसे प्राचीन हटिया बाजार इलाका अपने आप में पूरा इतिहास समेटे हुए हैं। इसी इलाके में मौजूद हैं मां बुद्धा देवी। इन्हें प्रसाद के रूप में लड्डू, बताशे या फल नहीं, बल्कि सीजनल ताजी सब्जियां चढ़ाई जाती है। नवरात्रि के समय मां की दर्शन करने के लिए कानपुर के आसपास के जिलों से भक्तों की भीड़ लगती है। यहां सब्जियों में लौकी के टुकड़े, बैगन, पालक, टमाटर, गाजर, मूली और आलू तक मौजूद रहता है। इस मंदिर के पुजारी भी कोई पुरोहित या पंडित नहीं है, बल्कि यहां के पुजारी को राजू माली के नाम से पुकारा जाता है।

प्रसाद के तौर पर मां के चरणों का जल
शहर से 40 किमी दूर कानपुर सागर हाईवे स्थित घाटमपुर में मां कुष्मांडा देवी का मंदिर है। इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि आज से करीब 2000 साल पहले खुदाई के दौरान मां की मूर्ति निकली थी। जिसे एक पेड़ के नीचे रखवा दिया गया था। घाटमपुर के जमीदार ने 1858 में मां के मंदिर का निर्माण करवाया था। पुजारी के मुताबुक नवरात्रि पर हर साल हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। कुष्मांडा देवी के पैरों से जल निकलता है और प्रसाद के रुप में वही दिया जाता है। मां के चरणों में जल कहां से आता है यह किसी को नहीं पता। कई साइंटिस्ट आए, लेकिन इस रहस्य को खोज नहीं।

Navratri 2019 : इन छह देवियों के विराजनें की अदभुत है कहानी

ट्रेंडिंग वीडियो