कानपुर

गरीब को नहीं मिल पा रही रोटी, यूपी की सियासत में छाई टोंटी

योगी सरकार ने अखिलेश यादव पर लगाए आरोप, मंत्री शाही ने कहा 42 करोड़ वापस करें समाजवादी लोग

कानपुरJun 14, 2018 / 03:25 pm

Vinod Nigam

गरीब को नहीं मिल पा रही रोटी, यूपी की सियासत में छाई टोंटी

कानपुर। सियासत और सियासतदान भी क्या खूब है? गरीब जनता रोटी के चलते मौत को गले लगा रही है, वहीं सत्ताधारी दल व विपक्ष के नेता नल की टोंटी को लेकर जमकर राजनीति चमका रहे हैं। दो दिन पहले सजेती थानाक्षेत्र में भूख के चलते मां-बेटे ने बबूल के पेड़ पर लटक की जान दे दी। अर्थी पर कंधा देने के नाम पर नेता आए और कई वादे कर गए, लेकिन 50 घंटे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद एक भी पूरे नहीं हुए। जबकि टोंटी को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मीडिया के सामने पेश हुए और योगी सरकार पर जमकर जुबानी हमला बोला। वहीं कानपुर आए कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही मृतक किसान के घर पर जाकर मलहम लगाने के बजाए अखिलेश यादव पर जमकर प्रहार किए। उन्होंने कहा कि सरकारी बंगले के साफ-सफाई के नाम पर पूर्व सीएम ने सरकारी खजाने से 42 करोड़ रूपए खर्च कर दिए। अगर वह सच्चे समाजवादी हैं तो टोंटी के साथ-साथ पैसे वापस करें।
मां-बेटे ने भूख के चलते जान दी
उत्तर प्रदेश के जर्जे-जर्जे पर इनदिनों अखिलेश के नल की टोंटी के सिस्से सुबह से लेकर शाम तक सुनाई दे रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया में भी लोग अपने-अपने तरीके से टोंटी विवाद पर जमकर फड़ास निकाल रहे हैं। पर यूपी के गरीब लोगों के बारे में कभी कोई चर्चा नहीं होती। अगर किसान, मजदूर और गरीब भूख, फसल बर्बादी व बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी कर ले तो राजनेता वोटबैंक साधने के लिए शव को कंधा देने पहुंच जाते हैं और जनता के बीच लंबे-चौड़े भाषण व वादे कर चुपचाप चले जाते हैं। मृतक के परिजन इसी आस में बैठे होते हैं कि नेता जी ने वादा किया था कि चपाती के साथ साघ भाजी भिजवाएंगे पर कई दिन व रात गुजर जाती है, लेकिन नेता जी की चपाती नहीं आती। सजेती निवासी मृतक किसान की पत्नी काजल ने बताया कि सपा नगर अध्यक्ष मुईन खान आए थे और 20 लाख का मुआवजा दिलाए जाने की बात कही थी, पर दो दिन गुजर गए, हमारे घर कोई नहीं आया।
क्या है टोंटी विवाद
इस मुद्दे की शुरुआत उस वक्त हुई जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अखिलेश यादव को अपना सरकारी आवास मजबूरन छोड़ना पड़ा था। इसके बाद सूबे की सरकार ने इस आवास को आमलोगों के लिए खोल दिया। अखिलेश का बदहाल बंगला दिखाया गया उसको देखकर हर कोई हैरान और परेशान था। अखिलेश यादव ने इस बंगले की साज-सज्जा पर 42 करोड़ रुपये खर्च किए थे। लेकिन जो तस्वीरें बाद में सामने आई वह कुछ और ही बयां कर रही थीं। उस वक्त इस बंगले से स्वीमिंग पूल में लगी महंगी टाइल्स को या तो तोड़ दिया गया था, या फिर उसकी टाइल्स को निकाल लिया गया था। ऐसा ही कुछ हाल घर के बॉथरूम से लेकर किचन तक का भी था। साथ ही आवास पर लगीं नल की टोंटियां भी निकाल ले गए। छत पर लगे सेंट्रलाइज एसी समेत बंगले लगी महंगी लाइट्स को भी निकाल लिया गया था। कुल मिलाकर पूरा बंगला अब एक उजड़ा चमन हो चुका था।
कुछ इस तरह से बोले पूर्व सीएम
पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस प्रकरण पर सफाई देते हुए कहा कि सरकार के लोग उनके ही सामान को बंगले से उठाकर ले गए। सरकार उन्हें उनका सामान लौटा दे। अखिलेश ने बताया कि उस बंगले में जो उनका सामान था, उन्होंने वही लिया है। अखिलेश ने उन सभी आरोपों से इंकार किया कि जो सरकार की तरफ से उनपर लगाए गए हैं। उन्होंने बंगले में किसी भी तरह की छेड़छाड़ न करने की बात कही और साथ ही सूबे की सरकार पर आरोप भी जड़ दिया। अखिलेश का कहना था कि वह इस मामले से जुड़ी फाइनल रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। अखिलेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले वह घर पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें मिलने वाला था। इसलिए उन्होंने अपनी पसंद के हिसाब से इसको बनवाया था। इस दौरान उन्होंने टोटी दिखाते हुए कहा कि आज मैं यह लेकर आया हूं, सरकार बताए तो मैं पूरी टोटी दे दूंगा।
मंत्री ने कहा फंस गए अखिलेश
बुधवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही बंगला प्रकरण पर कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पूछा जाना चाहिए कि पुराने बंगले पर 42 करोड़ रुपये क्यों खर्च किए गए? वह भी ऐसी स्थिति में जब प्रदेश के करोड़ों लोगों के पास सिर छिपाने के लिए छत नहीं रही। बंगले में तोड़फोड़ का अधिकार किसने दिया? सपा बताए कि यह कैसा समाजवाद है? उन्होंने कहा कि अखिलेश को बंगले पर हुए खर्च और तोड़फोड़ के लिए स्पष्टीकरण देना चाहिए। साथ ही सीएम योगी बंगले में खर्च किए गए एक-एक पैसे का हिसाब पूर्व सीएम अखिलेश यादव से लेंगे। मंत्री ने कहा कि सपा, बसपा सहित अन्य दलों ने प्रदेश में लूट घसोट कर जनता के पैसे से अपने घरों को चमकाया है। जब से केंद्र में मोदी और यूपी में योगी सरकार आई है, तब से इनकी कमाई के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि विपक्षियों के गठबंधन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वर्ष 1993 में भी भाजपा सबसे बड़ा दल रहा है। सपा-बसपा ने मिलकर सरकार बनाई, लेकिन क्या हश्र हुआ, यह सब जानते हैं।

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