इसके चलते महामारी और संचारी विशेषज्ञों ने इस पर अध्ययन शुरू कर दिया है। दिल्ली और लखनऊ के विशेषज्ञों की टीमें संक्रमण फैलने के स्रोत के साथ इस बात भी मंथन कर रही हैं कि क्या एडीज एजिप्टाई के अलावा एल्बोपिक्टस भी जीका फैला सकता है। हालांकि अभी तक यही कहा जाता रहा है कि ये दोनों मच्छर डेंगू, यलो फीवर, जापानी इंसेफ्लाइटिस फैला सकते हैं। लेकिन जीका फैलाने के संबंध में अभी एडीज एजिप्टाई का तथ्य ही स्थापित हो पाया है।
बता दें कि चकेरी क्षेत्र से पहले चरण में 50 मच्छर के सैंपल भेजे गए, जिसमें एक मच्छर में जीका मिला था। सैंपल अलग-अलग क्षेत्रों के रहे हैं। बाकी एडीज एजिप्टाई में जीका नहीं रहा। शक है कि एल्बोपिक्टस ने भी जीका की क्षमता विकसित न कर ली हो। जीएसवीएम मेडिकल कालेज की मेडिकल रिसर्च यूनिट भी इस पर काम करेगी। कालेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि शोध की तैयारी की जा रही है। वहीं अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. जीके मिश्रा का कहना है कि जीका के विभिन्न पहलुओं पर मंथन चल रहा है। अभी प्राथमिकता संक्रमण रोकना है।