रामजीलाल के अनुसार मनोबल को मजबूत रखकर वे कोरोना का मुकाबला करते रहे। इस दौरान चिकित्सालय में भर्ती होने की बजाय घर पर ही उपचार लेना बेहतर माना। घर पर ही कोरोना की किट मंगवा कर दवाई ली। साथ ही नियमित तौर पर योग के साथ देशी उपचार भी किए। घर में देशी खाद से पैदा की हुई सब्जी का इस्तेमाल किया। आने जाने वालों से दूरी रखी।
रामजीलाल ने बताया कि उन बुरे दिनों में कई मौके आए जब मन मेंं घबराहट की स्थिति बनी भी तो मझले पुत्र मनोज के मित्र बबलू शुक्ला तथा आशीष कांत कौशिक समय समय पर आकर उनको सम्बल प्रदान करते रहे। वे कहते हैं कि कोरोना की बीमारी है तो खतरनाक लेकिन यह सच है कि मजबूत मनोबल भी कोरोना हराने में दवाई की तरह काम करता है।