आंखों के सामने ही ओझल हो गई भद्रावती,कभी बहती थी कलकल, अब बदली गंदे दलदल में
करौलीPublished: Jun 10, 2019 10:37:12 pm
aankhon ke saamane hee ozal ho gae bhadravatee, kabhee bahatee kalakal thee, ab badalee gande daladal mein
आंखों के सामने ही ओझल हो गई भद्रावती,कभी बहती थी कलकल, अब बदली गंदे दलदल में
करौली. यहां की जीवनदायनी मानी जाने वाली जिस भद्रावती नदी में तीन दशक पहले तक बारहमासी पानी की हिलोरे उठती थी, अब संरक्षण के अभाव में नदी गंदगी के दलदल में बदल गई है। इस नदी को सरकार के अधिकारियों ने भगवान मदनमोहन के भरोसे ही छोड़ रखा है।
१३४८ में महाराज अर्जुन देव ने भद्रावती नदी के किनारे करौली नगर बसाया था। करौली के निवासी व इतिहासकार वेणुगोपाल शर्मा बताते है कि ३५ साल पहले नदी में कलकल पानी बहता रहता था। इसके बाद से ही पानी कम होना शुरू हो गया। उन्होंने बताया कि ३० साल पहले वे सहित अन्य लोग इसी नदी में नहाते थे। महिलाएं कपड़े धोती थी। शहर के सभी जल स्रोत इसी नदी के पानी से रिचार्ज थे। भगवान मदनमोहन के श्रद्धालु नदी में स्नान करके दर्शनों के लिए जाते। अनेक लोग अपने घरों में पूजा के लिएपानी भी इस नदी से नियमित लेकर आते थे। अनेक धार्मिक क्रिया कलाप और आचमण आदि नदी के तट पर होते थे। तीन दशक में यह नदी धीरे धीरे पूरी तरीके से गंदे नाले में बदल गई है। नदी गेट से लेकर पांचना तक के भद्रावती के एरिया मेंमल मूत्र ही जमा है। पानी के नाम पर शहर के शौचालयों की गंदगी यहां पहुंच रही है। नदी में पानी नाममात्र को भी नहीं बचा है। बारिश में आने वाला पानी बहकर निकल जाता है क्योंकि मलबे के कारण नदी की गहराई खत्म हो गईहै।
लांगरा के झरने से निकली है नदी
करौली की भद्रावती नदी मण्डरायल तहसील के लांगरा गांव के झरने से निकली है। यह नदी महू ,हरनगर के जंगल में होती हुई बिचपुरी से चुली दह से कूदती करौली में विमल मास्टर की बगीची के नीचे राजघाट ,श्रीजी के बाग ,छगन घाट,सोट, दिगम्बर अखाड़े के नीचे सुख विलास उद्यान ,सुनारों की बगीची ,नदी दरवाजा मस्जिद ,बागे बरखत से आगे किशन प्रधान की बगीची ,मासलपुर दरवाजा ,शमशान ,लालदास के डांडे के नीचे ,चोर खिडकिया की बगीचियों के आगे धोबी दह ,मासलपुर के रास्ते को पार करते हुए छोटा पांचना,बड़ा पांचना के बाद दीपा दह में मिलती है।
पानी की आवक के स्रोत्र बंद, लोगों ने छोड़े गंदे नाले
पांचना बांध के निर्माण के समय भद्रावती नदी में मिट्टी जमा होने से सभी भू-गर्भ जल स्रोत्र बंद हो गए। इसके अलावा लोगों ने पानी के आवक के रास्तों पर अतिक्रमण भी कर लिया है। इस कारण नदी में पानी बारहमासी जमा नहीं रहता है। इसके अलावा राजस्व, जल संसाधन व नगरपरिषद के अधिकारियों ने इसी नदी की पूरी तरीके से उपेक्षा की है। करौली शहर के गंदे नाले नदी में छोड़ दिए गए हैं । शौचालयों की गंदगी भी नदी में जा रही है। अधिकारियों ने कभी भी नदी की दशा सुधारने के प्रयास नहीं किए हैं।
आस्था की नदी भी है
भद्रावती करौली शहर की आस्था की नदी भी है. कार्तिक मास में महिलांए नदी में स्नान करने के बाद ही मदनमोहन मंदिर में दर्शनों को जाती थी। ने पचासों बार नदी में नहाए हैं।
अशोक कुमार गुप्ता सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी
बचपन नदी में गुजरा
अच्छी तरीके से याद है कि नदी में कलकल पानी बहता रहता था, उनके मोहल्ले के सी लोग नदी में स्नान करने जाते थे। नदी से शहर के जल स्रोत्रों में पानी अच्छा था।अब समाप्त होती नदी को बचाना ही होगा।
रमेश शुक्ला सेवानिवृत्त नर्सिंग अधीक्षक