scriptराधेश्याम बोलने वाले अल्लाउद्दीन चाचा नहीं रहे | Allauddin Chacha who spoke Radheshyam is no more | Patrika News

राधेश्याम बोलने वाले अल्लाउद्दीन चाचा नहीं रहे

locationकरौलीPublished: Jun 03, 2020 08:38:17 pm

Submitted by:

Surendra

राधेश्याम बोलने वाले अल्लाउद्दीन चाचा नहीं रहेसाम्प्रदायिक सौहाद्र्र की मिसाल थेगाते थे भजन और त्योहारों की खुशियों में होते थे शामिलकरौली जिले के मंडरायल कस्बे में साम्प्रदायिक सौहाद्र्र के प्रतीक अल्लाउद्दीन चाचा का मंगलवार रात निधन होने के बाद उनको देर रात दफनाकर सुपुर्द -ए-खाक कर दिया गया। कस्बे के शेखपुरा मोहल्ले में रहने वाले 84 वर्ष के अल्लाउद्दीन कस्बे में चाचा के नाम से मशहूर थे। वे इलाके में साम्प्रदायिक सौहाद्र्र के लिए मशहूर थे।

राधेश्याम बोलने वाले अल्लाउद्दीन चाचा नहीं रहे

राधेश्याम बोलने वाले अल्लाउद्दीन चाचा नहीं रहे

राधेश्याम बोलने वाले अल्लाउद्दीन चाचा नहीं रहे
साम्प्रदायिक सौहाद्र्र की मिसाल थे
गाते थे भजन और त्योहारों की खुशियों में होते थे शामिल
करौली जिले के मंडरायल कस्बे में साम्प्रदायिक सौहाद्र्र के प्रतीक अल्लाउद्दीन चाचा का मंगलवार रात निधन होने के बाद उनको देर रात दफनाकर सुपुर्द -ए-खाक कर दिया गया। कस्बे के शेखपुरा मोहल्ले में रहने वाले 84 वर्ष के अल्लाउद्दीन कस्बे में चाचा के नाम से मशहूर थे। वे इलाके में साम्प्रदायिक सौहाद्र्र के लिए मशहूर थे। तीज-त्योहार के मौके पर तो वे मंदिरों में भजन सुनाते ही थे। इसके अलावा किसी भी मंदिर या घर में भजन होने पर वे नि:संकोच वहां पहुंचकर भजन गाने लगते। उनके मन में मजहब का बंधन कभी नजर नहीं आया। वे हरेक के दुख दर्द में मददगार बनते थे और तीज-त्योहार की खुशियों में हिस्सा लेते थे। होली के मौके पर वे कस्बे के प्रमुख आराध्यदेव श्री सीताराम जी मंदिर में पहुँचकर खुलकर रंग से होली खेलते और ब्रज संस्कृति पर आधारित होली गीतों पर नाचते -गाते थे। आमतौर पर किसी भी हिन्दू से मेल मुलाकात में वे हाथ जोड़कर राधेश्याम ही कहते थे। चाचा अल्लाउद्दीन थे तो गरीब लेकिन फिर भी त्योहार के मौकों पर पर वे अपने पकिचित लोगों को राधेश्याम कहते हुए सुंगधित इत्र बांटते रहते थे। इतना ही नहीं किसी भी वर्ग की बहन बेटी की शादी के मौके पर जो बनता वो मदद करते थे। उनके निधन के बाद कस्बे में उनकी यादों की चर्चाएं हो रही हैं। खास बात यह भी है कि उनका निधन निर्जला एकादशी पर हुआ है।
संकीर्तन मंडल के पंडित वासुदेव शुक्ला अधिवक्ता रामसहाय पाराशर, शिक्षक देवेन्द्र भारद्वाज सहित अन्य ने शोक जताते हुए कहा कि साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक और भजन गायक अपनी यादों को छोड़ चला गया।

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