विभागीय सूत्रों के अनुसार करौली जिला मुख्यालय स्थित आयुर्वेद विभाग के उप निदेशक कार्यालय से रसायनशाला से जारी पत्रक के अनुसार आवंटित कोविड संबंधी दवाओं की आपूर्ति की गई है। जो कोरोना महामारी के प्रकोप की रफ्तार और संबंधित लक्षणों से पीडि़त रोगियों की आवक की तुलना में काफी कम है। हिण्डौन राजकीय चिकित्सालय में एक छत योजना के आयुर्वेद चिकित्सालय अप्रेल माह में तीन चिकित्सकों ने 600 रोगियों को परामर्श दिया दिया। इनमें 200 रोगी कोविड के समान पूर्व लक्षणों से पीडि़त थे। लेकिन अल्प मात्रा में मिली दवाएं उपचार के लिए नाकाफी हो रही हैं।
रसायन शाला से कोरोना की दूसरी लहर से ऐन पहले आवंटित की दवाओं में कोविड के लिए दवाइयों उपलब्ध कराई। इसने आयुष-64 केप्शूल, संशमनी वटी, अणुतैल व त्रिभुवन कीर्ति रस है। विभाग सूत्रों के अनुसार हर औषधालय को आयुष -64 के दो डिब्बा, संशमणी बटी की 100 डिब्बी, अणुतैल की 45 डॉपर शीशी व त्रिभुवन कीर्ति रस की 145 डिब्बियोंं की आपूर्ति हुई है। वहीं इस बार अश्वगंध
चिकित्सकों के अनुसार कोविड पूर्व लक्षणों के उपचार के लिए रोगी को सामान्य तौर पर 10 दिन की दवाओं में 40 आयुष-64 कैप्शूल(2-2 सुबह-शाम) देने के साथ संशमनी वटी, अणुतैल व अन्य दवाएं दी जाती हैं। नुस्खा के आधार पर ये दवाएं मात्र 50 रोगियों लायक ही हैं। नस्य (नाक में डालना) के लिए अणुतैल मात्र 25 जनों को ही मिल सकता है।
एक छत के नीचे आयुर्वेद औषधालय के प्रभारी डॉ. प्रमोद शर्मा ने बताया कि कोविड के लिए निर्दिष्ट दवाओं की उपलब्धता कम होने ने गोजिव्हादि क्वाथ, वातश्लेषमिक क्वाथ, दशमूल क्वाथ व फलत्रिकादि क्वाथ का मिश्रित काढ़ा तैयार कर पिलाया जा रहा है। काढ़ा लाक्षणिक तौर पर खांसी,जुकाम,बुखार के उपचार के साथ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने मे सहायक है।
रसायनशाला से फरवरी माह में मिली औषधियों की खेप से औषधालयों को दवाएं मुहैया करा दी गईं। इनमें कोविड की दवाएं भी शुमार हैं। कोरोना पूर्व लक्षणों के उपचार के लिए काढ़ा कारगर है। इसका वितरण कराया जा रहा है।
डॉ. सुरेश चंद शर्मा, सहायक निदेशक
आयुर्वेद विभाग करौली।
एक्सपर्ट व्यू-
बड़ी फार्मेसियों हो पेटेंट दवाओं की खरीद
कोरोना महामारी के दौर में आयुष विभाग द्वारा औषधीय काढ़ा एवं आयुष 64 कैप्सूल के दिया जा रहा है। इनके बल पर कोविड-19 महामारी से जंग जीतना सहज नहीं है।
इनके अलावा कोरोना निदान में कारगर साबित हो रही दवाओं की भी औषधालयों में उपलब्धता हो। सरकार को रसायनशाला और परम्परागत दवाओं के अलावा आयुर्वेद की शीर्ष फार्मा कम्पनियों से भी पेटेंट दवाओं की खरीद करनी चाहिए। ताकि राजकीय आयुर्वेद औषधालय में रोगियों को काढ़े के अलावा पेटेंट दवाएं दे लाभान्वित किया जा सके। साथ ही महामारी में विशेष बजट दे औषधालयों में औषधियों पर्याप्तता सुनिश्चित की जाए।
– डॉ.घनश्याम शर्मा, सेवानिवृत अतिरिक्त निर्देशक, आयुर्वेद विभाग, भरतपुर।
79 आयुर्वेद चिकित्सा केंद्र हैं जिले में।
77 आयुर्वेद औषधालय है।
8 आयुर्वेद औषधालय एक छत के नीचे योजना में हैं।
1 जिला आयुर्वेद चिकित्सालय।
1 योग एवं प्राकृतिक चिकित्सालय
1 चल चिकित्सा इकाई है जिले में।