राष्ट्रीय तिलहन विकास योजना के अन्तर्गत किसानों को लोहे के तारों द्वारा बाड़बंदी करने पर अनुदान देय है। सभी श्रेणी के कृषकों को कांटेदार तारबंदी के लिए अनुदान का लाभ दिया जाएगा। एक किसान को अधिकतम 40 हजार रुपए का अनुदान मिलेगा।
अन्नदाता की मेहनत पर प्रतिवर्ष आवारा जानवर और नीलगाय पानी फेर देते हैं। जानवरों द्वारा खेतों में घुसकर फसल को नष्ट करने से किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है। विशेष रूप से नीलगायों से फसल का बचाव कर पाना किसानों के लिए बड़ी चुनौती साबित होता है। नीलगायों के झुण्ड जब खेतों में घुसते हैं तो फसल को चौपट कर डालते हैं। हालांकि ऐसे जानवरों से फसल की सुरक्षा के लिए किसान अपने स्तर पर प्रयास भी करते हैं। कई जगह तो समस्या बढऩे पर फसल रखवाली की खातिर किसानों को रतजगा तक करना पड़ता है।
तारबंदी के लिए प्रत्येक जिले को अलग-अलग लक्ष्य आवंटित किए हैं। इसमें करौली को 9 हजार मीटर, अजमेर को 7330 मीटर, जयपुर को 16400 मीटर, दौसा को 8200 मीटर, टोंक को 28300 मीटर, सीकर को 7400 मीटर, झुंझुनूं को 7 हजार, नागौर को 17500 मीटर, अलवर को 20900 मीटर, भरतपुर को 18500 मीटर, धौलपुर को 6100 मीटर, सवाईमाधोपुर को 18900 मीटर, बीकानेर को 17800 मीटर, चुरू को 7300 मीटर, जैसलमेर को 6800 मीटर, गंगानगर को 20800 मीटर, हनुमानगढ़ को 10500 मीटर, जोधपुर को 24800 मीटर, बाड़मेर को 6 हजार मीटर, जालौर को 20900 मीटर, पाली को 19400 मीटर, सिरोही को 8 हजार मीटर, कोटा को 21300 मीटर, बारां को 31100 मीटर, बूंदी को 13300 मीटर, झालावाड़ को 27900 मीटर तारबंदी के लक्ष्य मिले हैं।
कृषि आयुक्तालय की ओर से तारबंदी कार्यक्रम को लेकर लक्ष्य मिले हैं। तारबंदी पर अनुदान की इस योजना की क्रियान्विति के लिए कवायद शुरू कर दी है। इससे किसानों को फायदा मिलेगा। एक किसान को अधिकतम 40 हजार रुपए तक का अनुदान देय होगा।
-वीडी शर्मा, उपनिदेशक कृषि (विस्तार), कृषि विभाग करौली