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बाड़बंदी से बचेगी भूमिपुत्र की फसल, प्रदेश में तारबंदी के लक्ष्य आवंटित

locationकरौलीPublished: Jul 14, 2019 07:23:13 pm

Submitted by:

Dinesh sharma

करौली. खेतों में लहलहाती फसल को आवारा पशुओं से बचाव के लिए इस वर्ष प्रदेश में करीब साढ़े चार लाख मीटर में खेतों की बाड़बंदी की जाएगी।

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बाड़बंदी से बचेगी भूमिपुत्र की फसल, प्रदेश में तारबंदी के लक्ष्य आवंटित

करौली. खेतों में लहलहाती फसल को आवारा पशुओं से बचाव के लिए इस वर्ष प्रदेश में करीब साढ़े चार लाख मीटर में खेतों की बाड़बंदी की जाएगी।

इससे भूमिपुत्र नुकसान से बच सकेंगे। खेतों की कांटेदार तारबंदी पर सरकार की ओर से किसानों को अनुदान दिया जाएगा।
कृषि अधिकारियों का कहना है कि खेतों की बाड़बंदी होने से किसान फसल में आवारा पशुओं से होने वाले नुकसान से निजात पा सकेंगे।

कृषि आयुक्तालय की ओर से प्रदेश के सभी जिलों को वर्ष 2019-20 के तारबंदी के लक्ष्य आवंटित किए गए हैं। खेतों की यह तारबंदी विभाग की एनएफएसएम-तिलहन अन्तर्गत होगी।
40 हजार तक मिलेगी सहायता
राष्ट्रीय तिलहन विकास योजना के अन्तर्गत किसानों को लोहे के तारों द्वारा बाड़बंदी करने पर अनुदान देय है। सभी श्रेणी के कृषकों को कांटेदार तारबंदी के लिए अनुदान का लाभ दिया जाएगा। एक किसान को अधिकतम 40 हजार रुपए का अनुदान मिलेगा।
प्रति कृषक 400 रनिंग मीटर की सीमा तक अनुदान देय होगा। प्रावधानुसार किसी किसान के द्वारा खेत की उस साइड में जिसमें पूर्व में किसी दूसरे किसान द्वारा तारबंदी की गई है, पुन: तारबंदी नहीं कराई जा सकेगी। अनुदान के लिए किसान को आवेदन के साथ 6 माह पुरानी जमाबंदी की नकल भी संलग्न करनी होगी।
प्रत्येक श्रेणी में 30 फीसदी महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी। जनधन-पशुधन की हानि से बचने के लिए तारबंदी में किसी भी प्रकार का विद्युत करंट प्रवाहित नहीं किया जा सकेगा।

प्रतिवर्ष होता बड़ा नुकसान
अन्नदाता की मेहनत पर प्रतिवर्ष आवारा जानवर और नीलगाय पानी फेर देते हैं। जानवरों द्वारा खेतों में घुसकर फसल को नष्ट करने से किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है। विशेष रूप से नीलगायों से फसल का बचाव कर पाना किसानों के लिए बड़ी चुनौती साबित होता है। नीलगायों के झुण्ड जब खेतों में घुसते हैं तो फसल को चौपट कर डालते हैं। हालांकि ऐसे जानवरों से फसल की सुरक्षा के लिए किसान अपने स्तर पर प्रयास भी करते हैं। कई जगह तो समस्या बढऩे पर फसल रखवाली की खातिर किसानों को रतजगा तक करना पड़ता है।
किसी जिले को कितना लक्ष्य
तारबंदी के लिए प्रत्येक जिले को अलग-अलग लक्ष्य आवंटित किए हैं। इसमें करौली को 9 हजार मीटर, अजमेर को 7330 मीटर, जयपुर को 16400 मीटर, दौसा को 8200 मीटर, टोंक को 28300 मीटर, सीकर को 7400 मीटर, झुंझुनूं को 7 हजार, नागौर को 17500 मीटर, अलवर को 20900 मीटर, भरतपुर को 18500 मीटर, धौलपुर को 6100 मीटर, सवाईमाधोपुर को 18900 मीटर, बीकानेर को 17800 मीटर, चुरू को 7300 मीटर, जैसलमेर को 6800 मीटर, गंगानगर को 20800 मीटर, हनुमानगढ़ को 10500 मीटर, जोधपुर को 24800 मीटर, बाड़मेर को 6 हजार मीटर, जालौर को 20900 मीटर, पाली को 19400 मीटर, सिरोही को 8 हजार मीटर, कोटा को 21300 मीटर, बारां को 31100 मीटर, बूंदी को 13300 मीटर, झालावाड़ को 27900 मीटर तारबंदी के लक्ष्य मिले हैं।
इसी प्रकार बांसवाड़ा जिले को 3100 मीटर, डूंगरपुर को 1200 मीटर, उदयपुर को 2 हजार मीटर, प्रतापगढ़ को 11200 मीटर, भीलवाड़ा को 8500 मीटर, चित्तौडगढ़ को 14500 मीटर, राजसमंद को 800 मीटर तारबंदी का लक्ष्य आवंटित किया है।
तारबंदी के लक्ष्य मिले हैं
कृषि आयुक्तालय की ओर से तारबंदी कार्यक्रम को लेकर लक्ष्य मिले हैं। तारबंदी पर अनुदान की इस योजना की क्रियान्विति के लिए कवायद शुरू कर दी है। इससे किसानों को फायदा मिलेगा। एक किसान को अधिकतम 40 हजार रुपए तक का अनुदान देय होगा।
-वीडी शर्मा, उपनिदेशक कृषि (विस्तार), कृषि विभाग करौली
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