यह हुए थे विकास कार्य तालाबों को मॉडल बनाने के लिए कई विकास कार्य कराए थे। इन पर घाटों का निर्माण कराया गया था। तालाब का पानी दूषित न हो इसके लिए चारों ओर कंटीले तारों से घेरा भी बनवाया गया था। तालाब के पास प्राकृतिक वातरवरण को निहारने के लिए लोगों के लिए सीमेंट के चबूतरे व पक्की सीढिय़ों पर पट्टियां लगवाई गई थी, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते तालाबों की सूरत बिगड़
गई है। मॉडल तालाबों के देखरेख की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंपी गई है, लेकिन पंचायतों द्वारा अनदेखी की जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि देखरेख के अभाव में तालाब बदहाल हुए हैं।
अधिकतर गांवों में पुराने समय से ही तालाब से पानी की आपूर्ति होती है। ऐसे में राज्य सरकार ने तालाबों को और बेहतर तरीके से विकसित करने के लिए मनरेगा के तहत मॉडल तालाब बनवाने की योजना शुरू की, लेकिन यह योजना धरातल पर ग्रामीणों को कोई खास लाभ नहीं दे पाई।
देखरेख के अभाव में तालाबों का मॉडल बिगड़ गया और इनको विकसित करने में लगी सरकारी राशि पानी में चली गई।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 से 2020 में जिले की ग्राम पंचायतों में एक-एक मॉडल तालाब विकसित किए थे।
तालाब की खुदाई व सौंदर्यीकरण के नाम पर ग्राम पंचायतों द्वारा लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन इनकी समय समय पर देखरेख नहीं होने से ये बदहाल हो गए।
जवाब मांगेंगे टोडाभीम विकास अधिकारी अनीता मीणा ने बताया कि ग्राम पंचायतों में बनाए गए मॉडल तालाब की देखरेख की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों के सरपंच व सचिवों को दी गई है। जिन मॉडल तालाब की सीढिय़ों पर लगाई गई पट्टियों को ग्रामीण उखाड़कर ले गए है, वहां के सरपंच ने यदि रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है तो उनसे जबाव मांगा जाएगा।