पिछले एक दशक से लगातार बारिश की कमी से माड़ क्षेत्र के गांवों में कुएं सूख गए हैं। वही अधिकांंश हैण्डपंप भी पानी की जगह हवा फेंक रहे हैं। स्थानीय कस्बे में ही वर्षभर पेयजल संकट बना रहता है। कस्बे के अलावा ढहरिया, मांचड़ी, दलपुरा, खुर्द भांवरा, तालचिड़ा, मोहचीकापुरा आदि गांवों में वर्षभर पेयजल संकट बना रहता है। पानी के अभाव में माड़ क्षेत्र में खेती में सिंचाई की समस्या रहती है। माड़ क्षेत्र के अधिकांश गांवों में तो १ हजार फीट तक भी पानी नहीं मिल रहा। लोग सुबह उठते ही पानी के लिए भागदौड़ शुरू कर देते हैं। महिलाओं व युवतियों के साथ पुरुषों को भी एक घड़े पानी के लिए कई घंटों मशक्कत करनी पड़ती है। माड़ क्षेत्र में पानी करीब ५०० से ७०० फीट नीचे पाताल में चला गया है। पानी के लिए लोग नलकूप खुदवाते है तो पानी नहीं निकलता।
चंबल का पानी भी बना सपना
करौली-सवाईमाधोपुर जिले में पेयजल संकट दूर करने के लिए राज्य सरकार की ओर से २००५ में स्वीकृत हुई ४७८ करोड़ रुपए की चंबल परियोजना से डेढ़ दशक बाद भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई है। करीब ९२६ गांवों के लिए बनी चंबल परियोजना में नादौती क्षेत्र के ६३ गांव शामिल थे। लेकिन अब भी लोगों केा पानी नहीं मिला है।
करौली-सवाईमाधोपुर जिले में पेयजल संकट दूर करने के लिए राज्य सरकार की ओर से २००५ में स्वीकृत हुई ४७८ करोड़ रुपए की चंबल परियोजना से डेढ़ दशक बाद भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई है। करीब ९२६ गांवों के लिए बनी चंबल परियोजना में नादौती क्षेत्र के ६३ गांव शामिल थे। लेकिन अब भी लोगों केा पानी नहीं मिला है।