करौली

कर्ज में डूबी थी नगर परिषद, आय बढ़ा कर कराए विकास कार्य

City council was in debt, development work should be done by increasing income-शहर को दी विवेकानंद पार्क की सौगात-कार्यकाल में नगर परिषद का मिला दर्जा-पत्रिका अतीत के आइने से

करौलीDec 02, 2020 / 09:10 am

Anil dattatrey

कर्ज में डूबी थी नगर परिषद, आय बढ़ा कर कराए विकास कार्य


हिण्डौनसिटी. आजादी से पूर्व शहरीकरण के लिए गठित हिण्डौन नगर पालिका 76 वर्ष पुरानी हो गई है। सात वार्ड पार्षद के साथ सफर शुरू कर शहर की सरकार में अब सभासदों (पार्षर्दों) की संख्या 60हो गई है। विकास को रफ्तार देने के लिए सात वर्ष पहले राज्य सरकार ने शहरी निकाय को नगरपालिका से क्रमोन्नत कर नगर परिषद का दर्जा दिया। वर्ष 1944 में गठित नगर पलिका में अब तक बतौर जनप्रतिनिधि 24 अध्यक्ष व सभापति रहे हैं। राजस्थान पत्रिका हिण्डौन नगर परिषद के अतीत के पन्नों को खंगाल रहा है। इसी क्रम में प्रकाशित है एक ही कार्यकाल में नगर पालिका अध्यक्ष और फिर नगरपरिषद की सभापति रहीं गायत्री कोली से जाने उनके अनुभव उन्हीं की जुबानी….
मैं 23 अगस्त 2010 को नगर पालिका की अध्यक्ष बनीं। सरकार द्वारा पहली बार नगरीय निकाय चुनाव में कराए जनता द्वारा सीधा मतदान कराया। राज्य में विपक्षी दल की सरकार होने के बावजूद नगर पालिका में भाजपा को बोर्ड दोहराया। 40 पार्षदों के नगर पलिका बोर्ड में अध्यक्ष की कुर्सी संभालते के साथ ही ३ करोड़ रुपए का कर्ज(देनदारी) विरासत में मिली। नए कार्यों की शुरुआत करने से पहले पूर्ववर्ती बोर्ड में निर्माण कार्यों व बिजली निगम के बकाया का तकादा झेलना पड़ा। पालिका की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते विकास कार्य करना चुनौतीपूर्ण था। पार्षदों के सहयोग से पालिका के निजी आय के स्त्रोत विकसित किए। इस दौरान सरकार का प्रशासन शहरों के संग अभियान वरदान साबित हुआ। आवासीय व व्यवसायिक पट्टे व यूडी टैक्स की वसूली से कर्ज से उबर कर 10करोड़ रुपए आय अर्जित की। कार्यकाल पूरा होने पर 21 अगस्त 2015 को नगरपालिका के कोष में 5-6 करोड रुपए छोड़ा था। कार्यकाल में राजनीतिक द्वेषता भी झेलनी पड़ी। इसी के चलते मई 2013 में पांच दिन के लिए सभापति की कुर्सी से भी हटना पड़ा। हालांकि फिर से काबिज हो कार्यकाल पूरा किया।
विवेकानंद पार्क बनवाया-
मोहन नगर क्षेत्र के लोगों को स्वच्छ आवोहवा व घूमने के लिए विवेकानंद पार्क का निर्माण कराया। राजकीय चिकित्सालय के पास आबादी क्षेत्र में कीचड़ और जलभराव वाली सरकारी भूमि को सुधार कर पार्क विकसित किया। पार्क में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा भी स्थापित कराई गई थी। शहर में नेहरू पार्क के बाद किसी महापुरुष के नाम से विवेकानंद पार्क स्थापित किया। वर्तमान में पार्क के अत्यंत जनोपयोगी साबित होता देख सुखद अनुभूति होती है। इसके अलावा फायर बिग्रेड वाहन खरीद कर अग्निशमन सेवा की शुरूआत कराई।
नगर परिषद का मिला दर्जा-
शहरी विकास को गति देेने के लिए मेरे कार्यकाल में राज्य सरकार ने नगर पालिका को क्रमोन्नत कर परिषद का दर्जा दिया। एक अप्रेल2013में हिण्डौन नगर पालिका नगर परिषद के रूप में आई गई। संयोग से मुझे एक ही कार्यकाल में शहर की पहली महिला नगर पालिका अध्यक्ष और क्रमोन्नति के बाद पहली सभापति रहने का का मिला है।
डीपीआर तैयार पर, अधूरे रहे ख्वाब-
शहर के चहुुंमुखी विकास के लिए वर्ष 2013-14 में भोपाल की एक कम्पनी से वृहद प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराई थी। इसमें वार्ड वाइज विकास की जरुरतों का खाका खीचा गया। लेकिन नगर परिषद में सभागार निर्माण, शहर में खेल स्टेडियम, जलसेन विकास प्रोजेक्ट एवं प्रहलाद कुण्ड नृसिंह मंदिर जीर्णोद्धार का कराने की मंशा अधूरी रह गई।
विकास की उम्मीदें जो होंंनी चाहिए पूरी –
वर्षों पहलेे अधूरे रहे विकास कार्यों की आज भी शहर को आस है। शहर के लिए नासूर बनी जल भराव की समस्या का स्थाई निस्तारण होना चाहिए। शहर में स्टेडियम का निर्माण हो जिससे खेल प्रतिभाएं निखर सकें। वही पर्यटन के लिए जलसेन तालाब का विकास और संरक्षण हो। (जैसा कि नगर परिषद की पूर्व सभापति गायत्री कोली ने पत्रिका संवाददाता को बताया)

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