यह पहला मौका है जब नशे के आदी और शराब के शौकीन लोगों को दो सप्ताह से ज्यादा समय तक शराब उपलब्ध नहीं हो पाई है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो यह पहला मौका है जब इतने दिनों तक शराब का कारोबार प्रभावित हुआ है। लेकिन सीधे तौर पर सरकार ने मानव स्वास्थ्य और उसकी सुरक्षा को गंभीरता से लिया है। इसलिए लॉकडॉउन के तहत शराब की दुकानें भी बंद हंै।
दूसरी तरफ मार्च और अपे्रल वह समय होता है, जब अक्सर शराब की जमकर बिकवाली होती है। लॉटरी प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है, लेकिन गत 1 अपे्रल प्रभावी होने वाला नया आबकारी बंदोबस्त थमा पड़ा है।
पुराने ठेकेदार परेशान, नए नुकसान को लेकर चिंतित—- विभागीय सूत्रों के अनुसार करौली जिले में 13 अंग्रेजी शराब की दुकानों के साथ ही 66 मदिरा समूहों में 81 दुकानों के लिए आबकारी बंदोबस्त हो गया है। जिससे विभाग ने करीब 15 करोड़ का राजस्व अर्जित किया था। इस प्रक्रिया में कई ऐसे ठेकेदार थे, जिनके पिछले साल शराब के ठेके थे, लेकिन इस साल नहीं खुले। इन ठेकेदारों के पास माल का स्टॉक भी था, लेकिन दुकानों के संचालन की अवधि लॉकडाउन के बीच ही 31 मार्च को पूरी हो गई। जिससे उनकी दुकानों में रखा पुराने स्टॉक की शराब धरी की धरी रह गई है।
वहीं दूसरी तरफ शराब की नई दुकाने 1 अप्रेल से संचिालत होने वाली थी, लेकिन गारंटी राशि व कंपोजिट फीस के रुप में करोडों रुपए विभागीय कोष में जमा कराने के बावजूद धंधे की शुरुआत नहीं हो पाई है। शराब की नई दुकानों के अनुज्ञाधारी 15 अप्रेल को लॉक डाउन खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहें है।
पहली दफा, नफा की जगह नुकसान—– अक्सर माना जाता है कि कैसा भी मौसम और हालात हों, शराब की खपत कम नहीं होती। इसलिए इसे मुनाफे का सौदा माना जाता है। व्यापार में सालाना करोड़ों रुपए लोग लॉटरी में लगाते हैं। लेकिन ऐसा पहली दफा हुआ है जब करीब एक माह तक लगातार शराब की बिकवाली नहीं होगी। जिससे शराब के इस कारोबार में नफा के स्थान पर दारू (आबकारी) महकमे के साथ ही इसका धंधा करने वालों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
फैक्ट फाइल 8 हजार 500 बल्क लीटर प्रतिदिन होता था अंगे्रजी शराब का उठाव ———- 10 हजार 450 बल्क लीटर प्रतिदिन होता था बीयर का उठाव ———– 12 हजार 250 बल्क लीटर प्रतिदिन होता देशी मदिरा का उठाव