नतीजा, वीकेंड कफ्र्यू से पहले शहर में कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ता हुआ नजर आया। जबकि कुछेक होमगार्ड व पुलिस के जवानों को छोड़ कर कोई भी बड़ा अधिकारी बाजार की बिगड़ती स्थिति को संभालने नहीं आए। जबकि जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग और पुलिस कप्तान मृदुल कच्छावा के साथ ही स्थानीय एसडीएम सुरेश कुमार यादव व डीएसपी किशोरी लाल कोरोना गाइड लाइन पालना कराने की बार-बार अपील कर रहे हैं।
एक साल के अंदर दूसरी बार लाकडाउन की दस्तक के बीच वीकेंड कफ्र्यू से पहले बाजार में खरीदारी की मची होड़ को देखते हुए शहर के कई व्यापारियों ने जमकर मुनाफाखोरी की। बाजार बंद होने से पहले शुक्रवार को बाजार में आलू और प्याज की मांग सबसे अधिक रही। बाजार में सामान्य दिनों की अपेक्षा इनके भाव में 10 से 15 रुपए की तेजी देखने को मिली। वहीं टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, खीरा के अलावा अन्य हरी सब्जियों के भावों में भी 5 से 7 रुपए का अंतर देखने को मिला। सबसे अधिक भीड़ किराना दुकानों में नजर आई। बाजार बंद होने से पहले लोग राशन लेकर घर की ओर दौड़ लगाते रहे। जाहिर है, इस आपाधापी में चावल, दाल, तेल और चीनी जैसे राशन की खरीदारी में ग्राहकों ने आम दिनों की भांति ज्यादा भावताव नहीं किया।
शुक्रवार को बाजार से लेकर बस स्टैंड तक कोरोना गाइड लाइन की धज्जियां उड़ती रही। शहर की सडक़ों पर वाहनों की आवाजाही सामान्य दिनों से अधिक नजर आई। इस दौरान चारों ओर लापरवाही खुल कर नजर आ रही थी। बस और जीपों के अलावा बाइकों पर सफर करने वाले लोग शारीरिक दूरी के मापदंड को दरकिनार करते दिखे। बाजार से लेकर बस स्टेण्ड़ तक भारी भीड़भाड़ के कारण दौरान शारीरिक दूरियां तार तार हो रही थी। वीकेंड कफ्र्यू की घोषणा के बाद बाजार में भीड़ उमडऩे का अंदेशा होने के बावजूद शहर में कहीं भी नगरपरिषद और पुलिस प्रशासन नजर नहीं आया। जाहिर है एक दिन की यह लापरवाही दो दिनों के वीकेंड कफ्र्यू पर पानी फेरने के लिए काफी है।