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दानदाताओं की दरकार में अटका पाठशालाओं का विकास

locationकरौलीPublished: Jan 06, 2019 05:35:16 pm

Submitted by:

Dinesh sharma

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दानदाताओं की दरकार में अटका पाठशालाओं का विकास

फाइलों में ही दबकर रह गई ‘नन्द घर योजना
करौली. आंगनबाड़ी पाठशालाओं (केन्द्रों) को विकास के पंख लगाने की खातिर समेकित बाल विकास सेवाएं के अन्तर्गत महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित ‘नन्द घर योजनाÓ को जिले में पंख नहीं लग पा रहे हैं।
जनसहभागिता से केन्द्रों के आधुनिकीकरण-सुदृढ़ीकरण करने के उद्देश्य से शुरू की गई योजना को वर्षों बाद भी भामाशाह नहीं मिल सके हैं। नतीजतन आंगनबाड़ी केन्द्र अभी आधुनिक तरीके से विकसित होने की बाट जोह रहे हैं।
वर्ष 2015 में प्रदेश के पाली जिले से इस योजना की शुरूआत हुई थी। योजना में आंगनबाड़ी केन्द्रों में सहभागिता एवं समन्वित प्रयास से संसाधनों के विकास की उम्मीद थी, लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्रों को लगभग चार वर्ष बाद भी भामाशाह उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। ऐसे में केन्द्रों का विकास अटका हुआ है।
योजना में यह होना था
नन्द घर योजना का उद्देश्य गर्भवती महिला तथा गर्भावस्था से 6 वर्ष की आयु तक के बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य, विद्यालय पूर्व शिक्षा के साथ सम्पूर्ण विकास के लिए संसाधनों के साथ उन्नयन लाना है। इससे मातृ मृत्यु दर, बाल मृत्यु दर आदि में कमी लाकर कुपोषण जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सके।
इसलिए भी परेशानी
विभागीय सूत्र बताते हैं कि योजना के नियम कुछ जटिल होने की वजह से भामाशाहों-दानदाताओं ने हाथ आगे नहीं बढ़ाए। योजना में राज्य सरकार व आंगनबाड़ी केन्द्र को गोद लेने वाले भामाशाह अथवा स्वयं सेवी संस्था या कॉरपोरेट के मध्य एमओयू होता है। इसके तहत पांच वर्ष के लिए करार होता है।
ये होना है विकास
योजना के तहत शाला पूर्व शिक्षा से संबंधित गतिविधियां, जिसमें आंगनबाड़ी केन्द्रों में शाला पूर्व शिक्षा किट, खिलौने, गुडिया घर, स्लाईडर, फिसलपट्टी, घोड़ा, बच्चों के टीशर्ट व हॉफ पेन्ट, व्हाइट बोर्ड, नोट बुक, कॉपी, पेन्सिल आदि उपलब्ध कराए जाने हैं।
इसके अलावा योजना के अन्तर्गत आंगनबाड़ी भवन का रखरखाव, मरम्मत, सफेदी, नए भवन के निर्माण, रसोई से संबंधित सुविधाएं, टॉयलेट व चारदीवारी निर्माण, खेल के मैदान आदि की सुविधा भी मिलनी हैं। केन्द्रों में पोषाहार की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संस्था अथवा दानदाता द्वारा फल, हरी सब्जियां, तेल, घी, प्रोटीन युक्त अन्य खाद्य सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी।
केन्द्रों के विकास के लिए अतिरिक्त कार्यों के रूप में विद्युत कनेक्शन, दरी-पट्टी, वॉटर प्यूरीफायर, बर्तन, खाद्य सामग्री के भण्डारण के लिए अलमारी आदि भी मुहैया कराई जानी थी।

चार मॉडल्स पर किए जाने थे कार्य
नन्द घर योजना के अन्तर्गत दानदाता, सामाजिक ट्रस्ट, गैर सरकारी संगठन एवं कॉरपोरेट द्वारा प्रस्तावित चार मॉडल्स पर कार्य किए जाने हैं।
इनमें आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए भूमि उपलब्ध कराना अथवा भूमि उपलब्ध कराने के साथ भवन निर्माण एवं बाउण्ड्री कराने अथवा विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई भूमि पर भवन व बाउण्ड्री निर्माण कराने के साथ आगामी पांच वर्षों तक आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लेना है।
इसके अतिरिक्त चौथे मॉडल में आंगनबाड़ी केन्द्र का रखरखाव व आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र के रूप में विकसित करना है।

हमने प्रयास किए
जिले में अभी एक भी आंगनबाड़ी केन्द्र को नन्द घर योजना में गोद नहीं लिया गया है। योजना में पांच वर्ष का करार दिया जाना है। हमने प्रयास भी किए, लेकिन विभागीय शर्तों पर कोई भी भामाशाह-दानदाता सहमत नहीं हुआ।
भूपेश गर्ग, कार्यवाहक उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग, करौली

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