पोषाहार बंद होने से इन केन्द्रों पर अधिकांश बच्चे आने में रुचि नहीं दिखा रहे। ऐसे में कार्मिक केन्द्रों पर ठाली बैठी रहती है। केन्द्रों पर ३ से ६ वर्ष तक के बच्चों को गर्म पोषाहार देने का नियम है। पोषाहार समूह के माध्यम से दिया जाता है। लेकिन समूहों को भी १४ माह से पोषाहार का भुगतान नहीं मिला है। कई केन्द्रों पर समूह उधार लेकर आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार दे रहे हैं।
राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय १ अक्टूबर २०१८ से ७ हजार ५०० रुपए कर दिया है। लेकिन उन्हें आज भी पुराना मानदेय ही मिल रहा है। आशा सहयोगिनी को भी २ हजार ५०० रुपए मानदेय दिया जा रहा है। जबकि सरकार ने २०० रुपए मानदेय बढ़ा दिया है। सहायिका को पिछले चार माह से मानदेय का इंतजार है। उन्हें भी पुराना ३ हजार ५०० रुपए प्रतिमाह वेतन मिल रहा है। जबकि सरकार ने ४ हजार २०० रुपए कर दिया है। आंगनबाड़ी कार्मिकों ने बताया कि बढ़ा हुआ मानदेय तो दूर पुराना मानदेय भी चार माह से नहीं मिल रहा है।
केन्द्रों पर पोषाहार वितरण करने वाले समूहों को लम्बे समय से भुगतान नहीं मिला है। ऐसे में बाजार में दुकानदार भी उधारी देने से मना करने लगे है। साथ ही दीपावली का पर्व के आने से दुकानदार भी उधारी का तकाजा कर रहे हैं।
सीडीपीओ टोडाभीम भयसिंह मीना का कहना है कि लंबे समय से कोई स्थाई सीडीपीओ नहीं रहा है। मुझे भी चार्ज संभाले ही अभी आठ-दस दिन ही हुए है।
भुगतान के लिए उन्होंने सुपरवाईजरों की मिटिंग लेकर आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यरत कार्मिकों की उपस्थिति मंगवा ली है। शीघ्र ही दो-तीन दिन में मानदेय का भुगतान कर देंगे। पोषाहार वितरण में हुई धांधली की जांच कराने के बाद ही समूहों के भुगतान के बारे में कुछ हो सकेगा।
४३ केन्द्रों पर बंद पड़े पोषाहार को शीघ्र ही चालू करा दिया जाएगा।