इससे पहले करौली राजपरिवार से महाराज कुमार बृजेन्द्र पाल और अन्य सीटों पर भी कुछेक निर्दलीय चुने गए थे। निकट के चुनावों में निर्दलीय जीतने का इतिहास नहीं रहा है। बावजूद इसके इस बार गत बार के चुनाव के मुकाबले लगभग दोगुने निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी समर में भाग्य आजमा रहे हैं। वर्ष 2013 के चुनाव में जिले में जहां 8 निर्दलियों ने ताल ठोकी थी, वहीं इस बार (2018) में यह संख्या बढ़कर लगभग दोगुनी यानी 15 हो गई है।
इसमें भी विशेष बात इसमें हिण्डौनसिटी विधानसभा क्षेत्र से एक भी निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में नहीं है। इस बार सपोटरा विधानसभा क्षेत्र से 6 निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं, वहीं निर्दलियों की इतनी ही संख्या करौली विधानसभा क्षेत्र में है, जबकि टोडाभीम क्षेत्र से तीन निर्दलीय भाग्य आजमा रहे हैं।
गत बार सपोटरा शून्य, इस बार हिण्डौन शून्य
पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों के आंकड़ों पर नजर डालें तो सपोटरा से एक भी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं था, जबकि इस बार हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र में कोई भी प्रत्याशी निर्दलीय मैदान में नहीं है। इस बार सपोटरा से 6 निर्दलियों ने चुनाव में ताल ठोकी है।
पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों के आंकड़ों पर नजर डालें तो सपोटरा से एक भी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं था, जबकि इस बार हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र में कोई भी प्रत्याशी निर्दलीय मैदान में नहीं है। इस बार सपोटरा से 6 निर्दलियों ने चुनाव में ताल ठोकी है।
वहीं गत बार के चुनाव में हिण्डौनसिटी से 3 निर्दलियों ने भाग्य3 आजमाया था। गौरतलब है कि नामांकन वापिसी के बाद इस बार जिले की चारों सीटों पर कुल 44 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें करौली में 15, हिण्डौनसिटी में 4, सपोटरा में 13 तथा टोडाभीम में 12 प्रत्याशी शामिल हैं।