दरअसल निगम की ओर से सुबह साढ़े नौ से दोपहर डेढ़ बजे तक जाट की सराय जीएसएस से विद्युत कटौती की जानी थी, लेकिन तय समय पर शट डाउन लेने के उपरांत भी निर्धारित समयावधि में मरम्मत कार्य नहीं हो पाया। शाम करीब साढ़े चार बजे बिजली आपूर्ति शुरु हुई।
इस बीच लोगों का गर्मी के मारे बुरा हाल हो गया। इस बीच निगम के दफ्तर में टेलीफोन की घंटी घनघनाती रही और फीडर इंचार्ज और अभियंताओं को फोन नो रिप्लाई आते रहे।
सूत्रों के अनुसार जाट की सराय जीएसएस से जुड़े फीडरों पर कार्य होने के कारण मोहन नगर, रुप कॉलोनी, बीएड कॉलेज, बयाना रोड़, स्टेशन रोड, चुंंगी के पास के एरिया में बिजली आपूर्ति ठप रही।
पसीने छुड़ाती गर्मी में शहर के बाशिंदे बिजली आने की बाट देखते रहे। बिजली बाधित होने का असर कई दुकानदारों पर भी पड़ा। विद्युत आधारित व्यवसायियों का काम बाधित रहा। पत्रिका व्यू-
बिना बारिश के ही जिस तरह से बिजली व्यवस्था औंधे मुंह गिरती दिखाई दे रही है, इससे विभागीय तैयारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। काम चलाऊ व्यवस्था के आदि हो चुके निगम के अभियंता व कर्मचारी सिस्टम में सुधार नहीं कर रहे हैं, इससे आम आदमी को भारी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
आखिर अब बिजली अधिकांश लोगों की लाइफ लाइन बनी है। इस तथ्य को शायद विभाग अब तक नहीं समझ रहा है। आंधी, तूफान के साथ मूसलाधार बारिश तो दूर हल्की बूंदाबांदी भी नहीं थी, लेकिन फिर भी बिजली आपूर्ति व्यवस्था ध्वस्त होती दिखी, यह एक गंभीर मसला है। लोगों का कहना है कि विभाग को इस पर गंभीर होने की जरूरत है।
विद्युत मरम्मत के नाम पर लाइन शिफ्टिंग कार्य या फिर सिस्टम का ध्वस्त हो जाना, विभाग की लापरवाह कार्य प्रवृति को इंगित करता है। व्यापक जनहित को देखते हुए निगम को जर्जर बिजली संचरण सिस्टम को ठीक करने के लिए कारगर कदम उठाना चाहिए। आखिर तमाम संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद करोडों रुपए के बिल हर माह चुकाने वाले उपभोक्ताओं को परेशानी में डालकर निगम अपनी महती जिम्मेदारियों से कैसे पल्ला झाड़ सकता है।