जो लोग सडक़, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, धार्मिक स्थल, अस्पताल और निर्जन स्थानों के पास बेसहारा पड़े होते हैं, जिनके तन पर कपड़ा और जख्मों के दर्द के लिए दवा के अलावा पेट की भूख बुझाने के लिए भोजन तो दूर पानी तक मयस्सर नहीं होता है। ऐसे बेसहारा लोगों के लिए अपना घर आश्रम में बनाया गया है। आश्रयहीन लोगों को यहां अपनो सा प्यार और दुलार तो मिलता ही है, साथ ही उन्हें ‘प्रभुजी कह कर संबोधित किया जाता है।
शहर के बयाना मोड़ पर रामपुरा भवन में अपना घर की स्थापना चार वर्ष पहले हुई थी। इन चार सालों में बिहार, यूपी, एमपी, उडीसा, कर्नाटक, केरल, छत्तीसगढ़, झारखंड व राजस्थान समेत देश के विभिन्न इलाकों से भटक हिण्डौन पहुंचे 93 विमंदित और बेसहारा लोगों को उपचार के बाद स्वस्थ किया गया। इसके उपरांत परिजनों को बुलाकर उन्हें सौंप दिया। विगत छह माह से नए भवन में संचालित अपनाघर में फिलहाल 87 प्रभुजी रह रहें है।
आश्रम अध्यक्ष राकेश गोयल ने बताया कि संस्थापक डॉ. बीएम भारद्धाज की प्रेरणा से हिण्डौन निवासी भामाशाह मोहनलाल गोयल, अशोक सर्राफ व अनिल बंसल द्वारा क्यारदा कलां गांव के पास दान दी गई 18 एयर भूमि पर 22 जून 2020 से आश्रम संचालित हो रहा है। सभी सुविधाओं से सुसज्जित 150 आवासीय क्षमता वाले इस भवन में आवासी के साथ डिस्पेंसरी, मनोरंजन एवं सत्संग हॉल, भंडार गृह, सेवक आवास, सैलून, कार्यालय तथा ग्रीन गार्डन की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।