बैठक मेें प्रदेशाध्यक्ष रामनिवास मीना ने किसानों से कहा कि पूर्वी राजस्थान में भूजल स्तर जिस तेजी से गिर रहा है और पानी की समस्या गहराकर विकराल होती जा रही है, उसका स्थाई समाधान पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ही है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए, ताकि पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की पेयजल समस्या से स्थायी राहत मिल सके।
प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि तीन वर्ष पूर्व 3 मई 2019 को लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिण्डौन के कैलाश नगर गांव में जनसभा में प्रधानमंत्री ने परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने एवं पानी के लिए अलग से जलशक्ति मंत्रालय बनाने की बात कही थी। उन्होंने केंद्र सरकार में अलग से जल शक्ति मंत्रालय तो बना दिया, लेकिन ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किया गया है। अब पूर्वी राजस्थान के किसान एवं सर्वसमाज के लोगों को इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने के लिए एकजुट होने का समय आ गया है।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक अमर सिंह नीमरोठ ने कहा कि समिति पूर्वी राजस्थान के गांव-गांव में अभियान चलाकर सर्वसमाज के लोगों को एकजुट होने के लिए जागरूक करेगी। इसके साथ चुनावी सभा के वादे का स्मरण कराने के लिए प्रधानमंत्री के नाम 3 मई को कलक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
संघर्ष समिति में भरत सिंह डागुर को प्रदेश उपाध्यक्ष, दीनदयाल सारस्वत को मीडिया प्रभारी, गिरीश अलीपुरा को प्रवक्ता, भूरसिंह गुर्जर को सचिव, सुमन्त मीना को विधि सलाहकार एवं राजकुमारी बैरवा को महिला विंग प्रभारी बनाया गया है। किसानों ने तय किया संघर्ष समिति का शीघ्र ही विस्तार कर करौली सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों सवाईमाधोपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, धौलपुर, जयपुर, कोटा, बांरा, झालावाड, अजमेर, टोंक आदि में सर्वसमाज को जोडा जाएगा।
बैठक में किसान नेता रमेश पटेल, उदय सिंह मीना, राधेश्याम जाटव, रामराज जाटव, गजानंद शर्मा, विंदा शर्मा, मगन लाल, जगमोहन पटेल, मोहन प्रकाश, गणेश, कैलाश, बहादुर, सीताराम, जयपाल, राजू आदि ने भी क्षेत्र में बढ़ती जा रही पानी की किल्लत को लेकर विचार व्यक्त किए। साथ ही केन्द्र सरकार से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किए जाने की पुरजोर ढंग से मांग की।