scriptचांदनगांव क्षेत्र के हर घर से है फौज में, रगों में बहती है देशभक्ति | From every house of Chandangaon in the army, patriotism in the veins | Patrika News

चांदनगांव क्षेत्र के हर घर से है फौज में, रगों में बहती है देशभक्ति

locationकरौलीPublished: Aug 14, 2022 10:12:36 pm

Submitted by:

Surendra

चांदनगांव क्षेत्र के हर घर से है फौज में, रगों में बहती है देशभक्तिआजाद ङ्क्षहद फौज से लेकर कारगिल युद्ध में शामिल रहे हैं यहां के जांबाजकरौली जिले में महावीरजी के समीप चांदनगांव और उसके आसपास ऐसे गांव-ढाणी हैं, जहां की मिट्टी में देश के लिए वीर जवान पैदा होते हैं। उनकी रगों में जन्म से ही देश की रक्षा का जुनून होता है। स्थिति यह है कि इस गांव के लगभग हर घर से या तो वर्तमान में सेना में हैं या सेना से रिटायर होकर लौटे हैं।

चांदनगांव क्षेत्र के हर घर से है फौज में, रगों में बहती है देशभक्ति

चांदनगांव क्षेत्र के हर घर से है फौज में, रगों में बहती है देशभक्ति

चांदनगांव क्षेत्र के हर घर से है फौज में, रगों में बहती है देशभक्ति
आजाद ङ्क्षहद फौज से लेकर कारगिल युद्ध में शामिल रहे हैं यहां के जांबाज
करौली जिले में महावीरजी के समीप चांदनगांव और उसके आसपास ऐसे गांव-ढाणी हैं, जहां की मिट्टी में देश के लिए वीर जवान पैदा होते हैं। उनकी रगों में जन्म से ही देश की रक्षा का जुनून होता है। स्थिति यह है कि इस गांव के लगभग हर घर से या तो वर्तमान में सेना में हैं या सेना से रिटायर होकर लौटे हैं। चांदनगांव वो गांव हैं, जहां से कभी दिगम्बर जैन समाज के आराध्य भगवान महावीर प्रगट हुए थे। यहां की आबादी बढऩे के साथ तीन अलग- अलग गांवों का विकास हुआ। वर्तमान में 20 हजार की आबादी वाले क्षेत्र में तीन ग्राम पंचायत अकबरपुर, नौरंगाबाद, चाँदन गांव हैं। इन गांवों से निकले वीर जवान आजाद ङ्क्षहद फौज से लेकर कारगिल युद्ध तक में देश की रक्षा में डटे रहे हैं। चांदन गांव(श्रीमहावीरजी) कस्बे के बीच में बना शहीद स्मारक जहाँ पर एक नहीं तीन- तीन शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। चांदनगांव के युवाओं के लिए सेना में जाने का बचपन से ही जुनून होता है। वे अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं करते बल्कि किशोर अवस्था से ही सेना में भर्ती की तैयारी में जुट पड़ते हैं। असल में इस क्षेत्र में देश रक्षा की भावना कूट कूट कर भरी हुई है।
करगिल युद्ध में शहीद हुए नायब महेन्द्र ङ्क्षसह के छोटे भाई निर्भय ङ्क्षसह बताते हैं कि उनके भाई की शहादत हमारे युवाओं को भी सेना में भर्ती के किए प्रेरित करती हैं। शहीद स्मारक के बीच सबसे कम उम्र के शहीद विमल ङ्क्षसह की प्रतिमा राष्ट्र की सुरक्षा के जोश को बढ़ाती है। विमल ङ्क्षसह के बड़े भाई खेम ङ्क्षसह बताते हैं कि 2017 में युद्धाभ्यास के दौरान देहरादून के पास विमल ने देश सेवा में प्राण त्याग दिए थे। नक्सली हमले में शहीद हुए असिस्टेंट कमांडेंट हनुमंतसिंह के पुत्र नवदीप बताते हैं कि मेरे परिवार नहीं मेरे गांव में आज भी देश रक्षा का जुनून है। मेरे पिता नक्सली हमले में शहीद हुए। इसके बावजूद मेरे गांव में ही नहीं बल्कि परिवार में भी सेना में सेवाएं देने का जुनून हावी है।चाँदन गांव के कर्नल रूपचंद शर्मा के बेटे सौभाग्य स्वरूप आज ब्रेगेडियर के पद पर भारत माता की रक्षा में तैनात है। उनके परिवार के दर्जनों अन्य सदस्य भी सेना में हैं।
नौरंगाबाद निवासी हवलदार रामजीलाल ने 1962 में चीन सेना से युद्ध में हिस्सा लिया था। राजपूत रेजिमेंट के कैप्टन रेख ङ्क्षसह ने 1971 के भारत-पाक युद्ध तथा 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार में देश रक्षा में अपना योगदान दिया। वे श्रीलंका में शांति सेना में भी अपनी सेवाएं दे चुके है। इस गांव के सभी घरों की दीवारों पर भारतीय सेना की वर्दियां लटकी देखी जा सकती हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि गांव में सेनाओं के विभिन्न पदों से रिटायर जवानों (पेंसनर्श) की संख्या करीब 1500 है, जबकि 500 लोग अभी सेना, एयरफोर्स, नेवी और दूसरे सुरक्षाबलों में तैनात है। सैकडो युवा आज भी सेना भर्ती की तैयारी कर रहे हैं, जो सुबह से गांव की सड़कों पर दौड़ करते दिख जाएंगे । युवा मुकेश (20 वर्ष) बताते हैं कि वो दो बार भर्ती दौड़ में शामिल हो चुके हैं। एक बार लिखित परीक्षा भी दी थी लेकिन हाल ही में अग्निवीर योजना के कारण सभी परीक्षा रद्द करने से मेरा चयन नहीं हो सका। मेरा सपना है शरीर पर सेना की वर्दी पहनना।

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