scriptलुप्त हो गई करौली में गणगौर की सवारी | Gangaur ride in Karauli vanished | Patrika News

लुप्त हो गई करौली में गणगौर की सवारी

locationकरौलीPublished: Apr 14, 2021 08:38:17 pm

Submitted by:

Surendra

लुप्त हो गई करौली में गणगौर की सवारी
रियासतकाल में निकलती थी गणगौर की सवारी
अमर सुहाग की कामना को लेकर गणगौर का पूजन करौली रियासत की प्राचीन परम्परा थी। रियासतकाल में तो शहर में गणगौर की सवारी भी निकलती थी जो धीरे धीरे बंद हो गई। रियासतकाल के दौरान करौली के शासक मानक पाल (1772-1804) की रानी अंगर कंवर ने सबसे पहले 1779 में नगर में गणगौर की सवारी की परम्परा आरंभ की थी। गणगौर का पूजन करते समय 11 तोपों की सलामी दी जाती थी।

लुप्त हो गई करौली में गणगौर की सवारी

लुप्त हो गई करौली में गणगौर की सवारी

गणगौर विशेष
लुप्त हो गई करौली में गणगौर की सवारी

रियासतकाल में निकलती थी गणगौर की सवारी

अमर सुहाग की कामना को लेकर गणगौर का पूजन करौली रियासत की प्राचीन परम्परा थी। रियासतकाल में तो शहर में गणगौर की सवारी भी निकलती थी जो धीरे धीरे बंद हो गई। रियासतकाल के दौरान करौली के शासक मानक पाल (1772-1804) की रानी अंगर कंवर ने सबसे पहले 1779 में नगर में गणगौर की सवारी की परम्परा आरंभ की थी।
गणगौर का पूजन करते समय 11 तोपों की सलामी दी जाती थी। इतिहास के अनुसार इस सवारी में गणगौर की प्रतिमा की राधिका का रूप मानकर मदनमोहनजी के पुजारी द्वारा पूजा की जाती थी। पहले यह सवारी महलों से निकलकर नदी दरवाजे बाहर नदी के किनारे सुखविलास पर ठहरती थी। इस दिन नई पोशाकें धारण की जाती। 20 गज मलमल के साथ चंवर, मोरछल, पंखी करने वाली सेविका उस गणगौर के साथ चलती थी।
इस मौके पर करौली तथा आसपास के गांवों के लोग सवारी देखने के लिए एकत्र होते थे। नदी किनारे पर लगभग 2 घंटे राजा की सवारी खड़ी रहती थी। सुखविलास परकोटे बरकत का बाग एवं महलों का दृश्य बहुत मनोरम हो जाता था। फिर शहर में शाही अंदाज में गणगौर की सवारी निकलती थी। इसके 3 दिन बाद महलों से गणगौर को पानी पिलाने ले जाया जाता था।
स्वतंत्रता के बाद यह परंपरा विलुप्त होती चली गई। हालांकि कुछ समय बाद नगर पालिका ने गणगौर की सवारी निकालना आरंभ किया लेकिन यह परंपरा भी आगे नहीं चल पाई। इसी क्रम में बरपाड़ा मोहल्ले के कुछ लोगों ने गणगौर की सवारी निकाली लेकिन हर साल यह परम्परा अनवरत नहीं रह पाई।
करौली रियासत की इस सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए करौली नगर परिषद को प्रयास करने चाहिए। वरना यह परंपरा विलुप्त ही हो जाएगी। इसी क्रम में उल्लेखनीय है कि करौली जिले के सूरौठ कस्बे और सनेट में भी गणगौर के अवसर पर मेला आयोजित होता है और गणगौर की सवारी भी निकाली जाती है।
संजाया गणगौर का सिंजारा
करौली। करौली में अग्रवाल महिला मंडल की कुछ सदस्यों ने बुधवार को गणगौर के अवसर पर सिंजारा का आयोजन किया। इस दौरान तीज माता गणगौर को पुष्पों से सजाया गया। महिलाओं द्वारा सोलह श्रृंगार किए गए और गणगौर के गीत गाए। हल्दी लगाने और मेहंदी रचाने का कार्यक्रम भी हुआ।
इस दौरान वर्षा सर्राफ, प्रियंका अग्रवाल, मंजू सिंहल, संजना सर्राफ, विद्या बजाज, अंजली गुप्ता, गीता गर्ग, सुलेखा गुप्ता, सुनीता सिंहल, मंजू , पूनम बंसल आदि मौजूद रही।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो