देवस्थान विभाग का करौली में कार्यालय तो प्राचीन है लेकिन इसकी सार-संभाल नहीं हो पाने से यह धूल धूसरित हो रहा है। कार्यालय में बैठने के लिए फर्नीचर तक की कमी है। कमरों में सफाई नहीं होने से धूल भरी है। इस धूल में ही मंदिरों का रिकॉर्ड दबा हुआ है। सार संभाल के अभाव में यह रिकॉर्ड नष्ट भी होता जा रहा है।
करौली के देवस्थान कार्यालय के अधीन करौली और सवाईमाधोपुर जिले के एक सौ से अधिक सरकारी मंदिरों की सेवा पूजा की व्यवस्था, उनकी सम्पदा के रखरखाव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। करौली जिले में देवस्थान विभाग के 101 सुपुर्दगी श्रेणी के मंदिर तथा चार प्रमुख मंदिरों के ट्रस्ट भी है। ये सभी इस कार्यालय के क्षेत्राधिकार में हैं। विभाग ने सुपुर्दगी श्रेणी के मंदिरों को सेवा-पूजा के लिए पुजारियों को सौंपा हुआ है। इनकी देखभाल की जिम्मेदारी पूजा करने वालों को दी हुई है।
इनके अलावा करौली शहर के 15 मंदिर आत्मनिर्भर श्रेणी के हैं। आत्मनिर्भर मंदिरों की सेवा पूजा सहित अन्य व्यवस्थाओं का जिम्मा देवस्थान विभाग के पास है। लेकिन यहां विभाग के दफ्तर पर ताला होने से इन मंदिरों के पुजारी और व्यवस्थापक छोटे-छोटे कामों को चक्कर लगाते हैं। कई मंदिरों के पुजारियों के वेतन और भोग की राशि का भुगतान एक साल से अटका है। मंदिरों के नल-बिजली के बिलों की राशि का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। देवस्थान विभाग के दफ्तर पर ताला लटका होने को लेकर बीते दिनों सर्वसमाज के लोगों ने जिला कलक्टर को ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन में देवस्थान निरीक्षक की नियुक्ति करके कार्यालय खोले जाने के प्रबंध करने की मांग की गई।
मनोज शर्मा, पुजारी, प्रताप नवलबिहारी मंदिर करौली
कर रहे हैं व्यवस्था
विभाग के लिए आवंटित लिपिकों के पदों में से पूरे प्रदेश में ही 56 प्रतिशत पद रिक्त हैं। इस बारे में सरकार को अवगत कराया हुआ है। करौली कार्यालय में ताला लगा होने की समस्या के समाधान के लिए जल्दी यहां निरीक्षक का पदस्थापन कर दिया जाएगा।
राजेन्द्र शेखर भट्ट, आयुक्त देवस्थान विभाग करौली।