हम अपने हक के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। यदि सरकार हमारी बात नहीं मानती है तो आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने के अलावा हमारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है। टाल गए सवाल
चुनावी साल में आरक्षण का मुद्दे का हल मनमाफिक नहीं रहने पर आपकी और समाज की क्या भूमिका रहेगी। इस सवाल को कर्नल टाल गए। उन्होंने दोहराया कि हम १५ दिन बाद बिगुल बजा देंगे।
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चुनावी साल में आरक्षण का मुद्दे का हल मनमाफिक नहीं रहने पर आपकी और समाज की क्या भूमिका रहेगी। इस सवाल को कर्नल टाल गए। उन्होंने दोहराया कि हम १५ दिन बाद बिगुल बजा देंगे।
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माता पिता ने दिया था यह नाम:
बैंसला मूल रूप से करौली के ही हैं, एक छोटे से गांव में जब वह जन्मे तो माता-पिता ने उन्हें करोड़ों में से एक नाम दिया— किरोड़ी
वे जाति से बैंसला हैं यानि गुर्जर। काफी कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी। अपने शुरुआती दिनों में वो शिक्षक के तौर पर काम किया करते थे, लेकिन पिता के फौज में होने के कारण वे भी फौज में शामिल हो गए। 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने हिस्सा लिया।
बैंसला मूल रूप से करौली के ही हैं, एक छोटे से गांव में जब वह जन्मे तो माता-पिता ने उन्हें करोड़ों में से एक नाम दिया— किरोड़ी
वे जाति से बैंसला हैं यानि गुर्जर। काफी कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी। अपने शुरुआती दिनों में वो शिक्षक के तौर पर काम किया करते थे, लेकिन पिता के फौज में होने के कारण वे भी फौज में शामिल हो गए। 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने हिस्सा लिया।
‘जिब्राल्टर की चट्टान’
वे राजपूताना राइफल्स में थे और पाकिस्तान के युद्धबंदी भी रहे। उनके सीनियर्स उन्हें ‘जिब्राल्टर का चट्टान’ कहते थे और साथी कमांडो ‘इंडियन रेम्बो’ कहा करते थे। उनकी बहादुरी और कुशाग्रता का ही नतीजा था कि वे सेना में एक मामूली सिपाही से तरक्की पाते हुए कर्नल के रैंक तक पहुंचे और फिर रिटायर हुए।
वे राजपूताना राइफल्स में थे और पाकिस्तान के युद्धबंदी भी रहे। उनके सीनियर्स उन्हें ‘जिब्राल्टर का चट्टान’ कहते थे और साथी कमांडो ‘इंडियन रेम्बो’ कहा करते थे। उनकी बहादुरी और कुशाग्रता का ही नतीजा था कि वे सेना में एक मामूली सिपाही से तरक्की पाते हुए कर्नल के रैंक तक पहुंचे और फिर रिटायर हुए।
सियासत करने लगे:
उन्होंने गुर्जरों को आरक्षण में हक दिलाने का बात कही। ऐसा माना जाता है कि राजस्थान में बीजेपी सरकार के पतन की एक बड़ी वजह गुर्जर आंदोलन ही था। बार-बार सड़क और रेलमार्ग जाम करने के कारण कई बार उनकी आलोचना भी हुई, उनके विरोधियों ने उनपर सिरफिरा होने और लोगों को भटकाने का भी आरोप लगाया, लेकिन बैंसला डिगे नहीं और लगातार गुर्जरों को एकजुट करते रहे। उनकी अगुवाई में हुए कथित आंदोलन में अब तक 72 से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं।
उन्होंने गुर्जरों को आरक्षण में हक दिलाने का बात कही। ऐसा माना जाता है कि राजस्थान में बीजेपी सरकार के पतन की एक बड़ी वजह गुर्जर आंदोलन ही था। बार-बार सड़क और रेलमार्ग जाम करने के कारण कई बार उनकी आलोचना भी हुई, उनके विरोधियों ने उनपर सिरफिरा होने और लोगों को भटकाने का भी आरोप लगाया, लेकिन बैंसला डिगे नहीं और लगातार गुर्जरों को एकजुट करते रहे। उनकी अगुवाई में हुए कथित आंदोलन में अब तक 72 से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं।