करौली

सेहत पर भारी विभाग की शिथिलता

करौली. यूं तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से आमजन के स्वास्थ्य को लेकर अनेक सलाह दी जाती हैं, लेकिन खुद विभाग ही आमजन के स्वास्थ्य के प्रति बेपरवाह है।

करौलीOct 15, 2019 / 08:20 pm

Dinesh sharma

सेहत पर भारी विभाग की शिथिलता

करौली. यूं तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से आमजन के स्वास्थ्य को लेकर अनेक सलाह दी जाती हैं, लेकिन खुद विभाग ही आमजन के स्वास्थ्य के प्रति बेपरवाह है।
इसका नमूना है कि बाजार में मिलने वाले खाद्य पदार्थों की शुद्धता की जांच-पड़ताल के लिए करौली जिले में पिछले दो वर्ष से खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पद रिक्त हैं। इस कारण मिलावट करने वाले दुकानदारों की मौंज हो रही हैं।
वे खाद्य सामग्रियों में धड़ल्ले से मिलावट कर आमजन की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन उनकी मिलावटी सामग्री की जांच हो नहीं पाती है। विभागीय अधिकारी रिक्त पदों का रोना रोकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे में बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्री की शुद्धता आमजन की नजरों में पूरी तरह संदेह के घेरे में है लेकिन ऐसी सामग्री को खरीदना उनकी मजबूरी है।
दो वर्ष में मात्र ४५ नमूने
जिले में खाद्य पदार्थों की हजारों दुकानें हैं। विभाग की ओर से इन दुकानों से प्रतिमाह खाद्य सामग्री के नमूने लेने के लक्ष्य व मापदंड भी निर्धारित हैं लेकिन अधिकरियों की कमी से यह पूरे नहीं हो पाते। यहां खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के पद रिक्त हैं, लेकिन सवाईमाधोपुर के खाद्य सुरक्षा अधिकारी को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया, लेकिन उन्होंने भी मिलावटी वस्तुओं की बिक्री के खिलाफ अधिक रुचि नहीं दर्शाई।
इस स्थिति के चलते खाद्य सामग्री की जांच को संकलित नमूनों पर नजर डालें तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आती है। बीत दो वर्ष में जिलेभर में खाद्य साग्री के महज करीब ४५ नमूने संकलित किए गए हैं। ये नमूने अन्य जिलों से कबी कभार आने वाली टीम द्वारा संकलित किएगए। स्वास्थ्य विभाग की इस शिथिलता से मिलावटखोर दुकानदारों-व्यापारियों की बल्ले-बल्ले हो रही है।
आंकड़ों में नमूनों का हाल
विभागीय सूत्रों के अनुसार यहां दो खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के पद जुलाई २०१७ से रिक्त पड़े हैं। शायद यही वजह रही कि वर्ष २०१८ में खाद्य पदार्थों तेल, घी, मावा, दूध, मिठाई आदि के महज १६ नमूने ही संकलित किए गए। जबकि इस वर्ष जनवरी से सितम्बर माह तक करीब २९ नमूने जांच के लिएप्रयोगशाला भेजे गए हैं। इन नमूनों को अलवर लैब में जांच के लिए भेजा जाता है। सूत्रों के अनुसार वर्ष २०१८ में जांच में तीन नमूने फेल हुए।
होती है औपचारिकता
विभाग के आंकड़े ही मिलावट के प्रति लापरवाही की पोल खोलते हैं। जिले में कैलादेवी आस्थाधाम में चैत्र माह के लक्खी मेला सहित विभिन्न मेलों का आयोजन होता। कैलादेवी मेले के दौरान ३० से ४० लाख श्रद्धालुओं की आवक होती है, जिसके मद्देनजर बड़ी संख्या में खाद्य सामग्री की दुकानें लगती है।
मेले के दौरान ना केवल मिलावटी बल्कि दूषित खाद्य सामग्री की भी खूब बिक्री होती है, लेकिन विभाग फौरी कार्रवाई तक सिमटकर रह जाता है। इसी प्रकार दीपावली के मौके पर जिलेभर में बड़ी मात्रा में मिठाईयां तैयार होती है, जिनमें भी मिलावट का खेल खूब चलता है, लेकिन बिना जांच कार्रवाई के उनकी शुद्धता का पता ही नहीं चल पाता।
पद रिक्त हैं
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के पद रिक्त हैं, अभी तक सवाईमाधोपुर के खाद्य सुरक्षा अधिकारी को चार्ज दिया हुआ था। पिछले दिनों राज्य सरकार ने यहां दो खाद्य सुरक्षा अधिकारी तो लगाए, लेकिन उन्होंने अभी ज्वाईन नहीं किया है। इस बारे में निदेशक को अवगत कराया है, जहां से कार्रवाई की जा रही है। उनके ज्ॅवाइन करने के बाद खाद्य पदार्थों की जांच और नमूने लेने में तेजी लाई जाएगी।
डॉ. दिनेशचन्द मीना, सीएमएचओ, करौली

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