जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने बताया कि अफीम की खेती की सूचना मिलने पर डीएसटी प्रभारी यदुवीर सिंह को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए। इसके बाद डीएएसटी ने मुखबिर के बताए स्थान पर पहुंच देखा तो करीब डेढ़ बीघा भूमि पर अफीम की फसल पाई गई। सूचना के बाद मंडरायल थानाधिकारी मानसिंह मीणा भीी जाप्ता के साथ मौके पर पहुंचे। करौली पुलिस उपाधीक्षक मनराज मीणा व तहसीलदार भोलाराम बैरवा हल्का पटवारी जितेंद्र शर्मा के साथ मौके पर पहुंचे तथा खेती वाली जमीन की पड़ताल की। जिसमें भूमि के चारागाह होने की बात सामने आई। सूचना पर कोटा नारकोटिक्स विभाग के उपाधीक्षक बद्रीनारायण मीणा दस्ते के साथ मौके पर पहुंचे और फसल के नमूने लिए।
तहसीलदार भोलाराम बैरवा ने बताया कि जिस जगह अफीम की खेती की जा रही थी, वह चरागाह भूमि है। बीहड क्षेत्र में इस भूमि पर तीन-अलग अलग जगहों पर खेती की जा रही थी। कुल 3825 वर्ग मीटर जमीन के तीन हिस्सों में खेती होना पाया गया। जिसमें से दो जगहों पर फसल कच्ची थी और एक जगह पर फसल में फूल आ रहे थे। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी अब इस पडताल में जुटे हैं कि सरकारी भूमि पर अफीम की खेती करने वाला नशे का सौदागर किसान कौन है। और फसल की सिंचाई के लिए पानी कौन उपलब्ध करा रहा था।
केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो कोटा में अफीम की खेती के मामले में अज्ञात आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। बड़े पैमाने पर हो रही अफीम की खेती को पकडऩे में डीएसटी प्रभारी यदुवीर सिंह, एएसआई राजवीर सिंह, परमजीत सिंह, रविन्द्र, मोहनसिंह, तेजवीर, विक्रम, जसवंत, गजेन्द्र की मुख्य भूमिका रही। एसपी द्वारा डीएसटी को सम्मानित किया जाएगा।
पुलिस सूत्रों की मानें तो वर्ष 2016 में हिण्डौन सदर थाना क्षेत्र के कटकड़ गांव में भी अफीम की खेती पकड़ी गई थी। तब लाखों रुपए के अफीम की तैयार डोड़ा व फसल को पुलिस ने जब्त कर आरोपी को गिरफ्तार किया था। सूत्र बताते हैं कि हिण्डौन के आसपास कई गावों में अफीम के साथ ही गांजे की खेती खूब हो रही है।