सामाजिक सरोकारों को जोड़ते हुए फैसलों के लिए चर्चित दत्तात्रेय पाड़ा निवासी न्यायिक अधिकारी राजेंद्र शर्मा इन दिनों प्रतापगढ़ में जिला एवं सत्र न्यायधीश है, उनकी पत्नी आशा कुमारी भी पारिवारिक न्यायालय में न्यायधीश है। 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने जज दम्पती को झकझोर दिया। वे न्यायिक कामकाज के दायरे से बाहर निकल शहीद परिवार की मदद के लिए सीधा संवाद किया। शहीद की बेटी हेमलता ने बताया कि पिता उसे अध्यापिका बनना चाहते थे। वह शहीद पिता की इच्छा पूरी करने के लिए अध्यापिका बन शिक्षा को उजियारा फैलाना चाहती है।
जज दम्पती ने पत्रिका के दूरभाष पर बताया कि आज पूरा देश शहीदों के परिजनों के साथ खड़ा है। ऐसे में उन्होंने भी शहीद नारायणलाल गुर्जर के बच्चों के लिए ऐसे कुछ करने की ठानी है, जो परिवार को स्थाई संबल दे सके। जज दम्पत्ती ने आत्मीयता कहा कि चाहे तो हेमलता व भाई उनके साथ रह पढ़ाई कर सकते हैं। वे उसे भी अपनी बेटी की तरह परवरिश देंंगे। जज पुत्र व पुत्रवधू के अनूठे फैसले से पिता देवीशरण शर्मा व मां सुशीला देवी गौरांवित महसूस कर रहे हैं। राजकीय चिकित्सालय में मेलनर्स कार्यरत कैलाश शर्मा का कहना है कि न्यायिक अधिकारी बड़े भाई राजेंद्र शर्मा ने निर्णयों में सामाजिक सरोकारों की अनूठी छाप छोड़ी है। शहीद के बच्चों के लिए जज दम्पती के निजी फैसले की शहर में चर्चाएं हैं।
यह है शहीद का परिवार-
पुलवामा के आतंकी हमले में शहीद हुए राजसमंद के गांव बिनोल सीआरपीएफ के हैडकांस्टेबल नारायणलाल गुर्जर के परिवार मे पत्नी मोहनदेई (37), पुत्री हेमलता (17) व पुत्र मुकेश(11) है।
अंतरभावना से लिया निर्णय-
शहीद के परिवार की स्थिति को देखते हुए मदद दीर्घकालीन संबल देने वाली हो। ताकि परिवार आजीवन संवर सके। इसी अंतरभवना से उन्होंने एक शहीद नारायण सिंह की बेटी की पढ़ाई और सम्पूर्ण खर्च उठाने का निर्णय लिया है।
-राजेंद्र शर्मा, आशा कुमारी ,न्यायिक अधिकारी
शहीद के परिवार की स्थिति को देखते हुए मदद दीर्घकालीन संबल देने वाली हो। ताकि परिवार आजीवन संवर सके। इसी अंतरभवना से उन्होंने एक शहीद नारायण सिंह की बेटी की पढ़ाई और सम्पूर्ण खर्च उठाने का निर्णय लिया है।
-राजेंद्र शर्मा, आशा कुमारी ,न्यायिक अधिकारी