उपजिला कलक्टर डॉ. दुलीचंद मीणा ने बताया कि वर्ष 1953 में सूरौठ निवासी फैलराम जाटव के 3.9 बिस्वा खातेदारी भूमि थी। उसकी मृत्यु के बाद इस भूमि की खातेदारी उसके पांच पुत्र श्योजीराम, भम्बोला, चौथी, पांच्या व कंचन के हिस्से में बराबर होनी थी। लेकिन वर्ष 1957 में हुए सेटलमेंट में भूमि की खातेदारी अकेले भम्बोला के नाम दर्ज हो गई। जिसके बाद उनमें झगड़ा शुरु हो गया। न्यायालय में परिवाद दर्ज होने के बाद सभी भाई तारीखों पर आते रहे।
पारिवारिक समझाइश के अलावा गांव की चौपाल पर हुई पंचायतों में भी इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया। इस बीच श्योजी, भम्बोला, चौथी व पांच्या की भी मृत्यु हो गई। इस मामले को राजस्व लोक अदालत में विशेष रूप से सुनवाई के लिए रखा गया। गत 18 जून को सूरौठ में हुई राजस्व लोक अदालत में दोनो पक्षों को गंभीरता से सुना गया।
इसके बाद कई दिन तक चले समझाइश के दौर के बाद भम्बोला के बारिस रतन व कमल ने भूमि को बराबर के हिस्सों में बांटने पर सहमति दी। इसके बाद विधायक राजकुमारी जाटव व एसडीओ मीणा ने दोनो पक्षों के लोगों को भविष्य में कभी मुकदमा नहीं करने की शपथ दिलाई।