काला कानून की वापसी पर मना जश्न …
भ्रष्ट लोक सेवकों को संरक्षण देने वाले काले कानून को राज्य सरकार द्वारा वापस लेने पर शहर में दूसरे दिन भी खुशी और जश्न का माहौल रहा। काला कानून के वापस होने से खुशी जताने के लिए दोपहर में सर्वसमाज व विभिन्न संगठनों के लोग विवेकानंद पार्क में एकत्र हुए। पत्रिका में सत्यमेव जयते… शीर्षक से प्रकाशित समाचार पर चर्चा के बाद माहोल उत्सवी हो गया।
भ्रष्ट लोक सेवकों को संरक्षण देने वाले काले कानून को राज्य सरकार द्वारा वापस लेने पर शहर में दूसरे दिन भी खुशी और जश्न का माहौल रहा। काला कानून के वापस होने से खुशी जताने के लिए दोपहर में सर्वसमाज व विभिन्न संगठनों के लोग विवेकानंद पार्क में एकत्र हुए। पत्रिका में सत्यमेव जयते… शीर्षक से प्रकाशित समाचार पर चर्चा के बाद माहोल उत्सवी हो गया।
छात्र संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, व्यापार मण्डल, अधिवक्ता, स्वर्णकार, शिक्षक संघ सहित विभिन्न संगठनों के लोग डेढ़ घंटे कर खूब नाचे। भ्रष्ट व दागी लोकसेवकों को संरक्षण देने वाले काले कानून की ढाल हटाने की मुहिम पर लोगों ने राजस्थान पत्रिका की सराहना की। इस इस दौरान नगर परिषद उपसभापति नफीस अहमद, रमेशचंद गुप्ता, रविकुमार शर्मा, पार्षद लेखेंद्र चौधरी, डॉ.आनंद अग्रवाल, अम्बेडकर शिक्षक संघ के नवल किशोर जाटव, रामप्रसाद, रमेश तिवारा आदि उपस्थित थे।
दोपहर में बना आतिशी नजारा : लोगों में खुशी ऐसी परवान चढ़ी कि भरी दोपहरी में आतिशी नजारा हो गया। विवेकानंद पार्क में छात्रसंघ अध्यक्ष रामवीर तिघरिया, राष्ट्रीय जागरुक युवा संगठन के संजय पाराशर, भाजयुमो पदाधिकारी कृष्णा सोमली व थानसिंह ने खूब आतिशबाजी की। अनार, रोशनी, फुलझड़ी व घूम चक्कर की बिखरी आतिशी रश्मियां लोगों में खुशी का माहौल को बयां करती नजर आई।
पहले सोचती सरकार
अध्यादेश लाने से पहले सरकार इसके दुष्प्रभावों पर विचार करती तो यह नौबत नहीं आती। सरकार को कानून लाने से पहले आमजन के बारे में सोचना चाहिए।
-शांति लाल करसौलिया, अधिवक्ता।
अध्यादेश लाने से पहले सरकार इसके दुष्प्रभावों पर विचार करती तो यह नौबत नहीं आती। सरकार को कानून लाने से पहले आमजन के बारे में सोचना चाहिए।
-शांति लाल करसौलिया, अधिवक्ता।
मंशा ही ठीक नहीं थी
सरकार जिस इरादे से काला कानून लाई थी, उसे पत्रिका ने पहले दिन ही उजागर कर दिया। फिर भला आमजन भ्रष्टाचारियों व दागियों को संरक्षण देने वाले कानून को कैसे सह सकता था। वर्षों से जुड़े विश्वास के बूते पर पाठकों ने भी पत्रिका की मुहिम में शामिल हो सरकार के काले कानून का विरोध किया और आमजन और पत्रिका की जीत हो गई।
सरकार जिस इरादे से काला कानून लाई थी, उसे पत्रिका ने पहले दिन ही उजागर कर दिया। फिर भला आमजन भ्रष्टाचारियों व दागियों को संरक्षण देने वाले कानून को कैसे सह सकता था। वर्षों से जुड़े विश्वास के बूते पर पाठकों ने भी पत्रिका की मुहिम में शामिल हो सरकार के काले कानून का विरोध किया और आमजन और पत्रिका की जीत हो गई।
-पूरणमल जाटव, राष्ट्रपति अवार्डी शिक्षक
सरकार को दिखाया आइना
बहुमत के पहाड़ पर बैठी सरकार को पत्रिका ने आइना दिखा दिया। कालेकानून पर बैकफुट पर आई सरकार को भी जन भावनाओं का ख्याल रखने का सबक मिल गया। व्यापारी वर्ग
भी काला कानून वापस लेने से खुश है।
-विशंभर बंडीभोला, अध्यक्ष
कृषि उपज मंडी व्यापार मण्डल।
सरकार को दिखाया आइना
बहुमत के पहाड़ पर बैठी सरकार को पत्रिका ने आइना दिखा दिया। कालेकानून पर बैकफुट पर आई सरकार को भी जन भावनाओं का ख्याल रखने का सबक मिल गया। व्यापारी वर्ग
भी काला कानून वापस लेने से खुश है।
-विशंभर बंडीभोला, अध्यक्ष
कृषि उपज मंडी व्यापार मण्डल।
आमजन को मिली राहत
पत्रिका की मुहिम से पाठकों के विश्वास की जीत हुई है। सरकार द्वारा काला कानून वापस लेने से आमजनता में राहत मिली है। पत्रिका ने जन हित में आमजन की आवाज बुलंद की है।
महेश सोनी, पर्यावरण
संरक्षण समिति
पत्रिका की मुहिम से पाठकों के विश्वास की जीत हुई है। सरकार द्वारा काला कानून वापस लेने से आमजनता में राहत मिली है। पत्रिका ने जन हित में आमजन की आवाज बुलंद की है।
महेश सोनी, पर्यावरण
संरक्षण समिति