करौली

यहां होगा राजस्थान में होली का मिलन 3 को, जानिए क्यों होलिका दहन के एक दिन बाद की है परंपरा

इस वर्ष होली 1 और 2 मार्च को है। बेशक यह एक सप्ताह का समय हो लेकिन लोग अभी से ही इसकी तैयारी में जुट गए हैं। एक जगह ऐसी..

करौलीFeb 23, 2018 / 11:11 pm

Vijay ram

करौली.
राजस्थान विद्युत सेवा निवृत्त कर्मचारी संघ करौली की प्रथम बैठक ४ मार्च को सूरौठ पैलेस बयाना रोड हिण्डौनसिटी में होगी। सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता शिवचरणलाल शर्मा ने बताया कि दोपहर १२.३० पर मीटिंग व आमसभा, दोपहर एक बजे कार्यकािरणी का गठन, डेढ़ बजे होली मिलन समारोह व दोपहर दो बजे से भोजन होगा।
 

होली मिलन ३ को
अखिल भारतीय मीना महासभा की ओर से ३ मार्च को गुढ़ाचन्द्रजी रोड स्थित १३२ केवी विद्युत ग्रिड स्टेशन के समीप होली मिलन समारोह होगा। समारोह में महासभा के संरक्षक व लालसोट विधायक डॉ. किरोडीलाल मीना मुख्य अतिथि होंगे। यह जानकारी आयोजन समिति व महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नाहर सिंह सलावद व प्रदेश सचिव मनमोहन मीना अलूदा ने दी।
 

होली मिलन कल
हिण्डौनसिटी में अग्रवाल समाज का होली मिलन समारोह रविवार को दोपहर दो बजे कटरा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में होगा। इसकी अध्यक्षता समाज के अध्यक्ष रामदयाल गुप्ता पटवारी करेंगे। महामंत्री लक्ष्मण गोयनका ने बताया कि इस दौरान गुलाल से होली खेली जाएगी।
 

सुनाई गई लोककथा कि दो चार आने का हिसाब
इस मौके पर एक लोककथा प्रस्तुत की गई। जो इस प्रकार है। चंदनपुर का राजा बड़ा प्रतापी था। उसके महल में हर एक सुख-सुविधा की वस्तु उपलब्ध थी, पर फिर भी अंदर से उसका मन अशांत रहता था। एक दिन भेष बदल कर राजा अपने राज्य की सैर पर निकला। घूमते-घूमते वह एक खेत के निकट से गुजरा, तभी उसकी नजर एक किसान पर पड़ी। किसान ने फटे-पुराने वस्त्र धारण कर रखे थे और वह पेड़ की छांव में बैठ कर भोजन कर रहा था। किसान की गरीबी देखकर राजा किसान के सम्मुख जा कर बोला- ‘मैं एक राहगीर हूं। मुझे तुम्हारे खेत पर ये चार स्वर्ण मुद्राएं गिरी हुई मिलीं। चूंकि यह खेत तुम्हारा है, इसलिए ये मुद्राएं तुम ही रख लो।Ó किसान ने कहा- ‘ये मुद्राएं मेरी नहीं हैं। मैं तो चार आने रोज कमा लेता हूं। वे ही बहुत हैं मेरे लिये।Ó राजा ने आश्चर्य जताया कि चार आने तो बहुत कम होते हैं। इस पर किसान बोला- ‘प्रसन्नता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आप कितना कमाते हैं या आपके पास कितना धन है। प्रसन्नता उस धन के प्रयोग पर निर्भर करती है। इन चार आनों में से एक मैं कुएं में डाल देता हूं, दूसरे से कर्ज चुका देता हूं, तीसरा उधार में दे देता हूं और चौथा मिट्टी में गाड़ देता हूं।Ó राजा को किसान की बात समझ न आयी।
 

राजा ने कुरेदकर पूछा तो किसान संतोषी भाव से बोला- ‘हुजूर, जैसा कि मैंने बताया था, मैं एक आना कुएं में डाल देता हूं। यानी अपने परिवार के भरण-पोषण में लगा देता हूं। दूसरे से मैं कर्ज चुकाता हूं, यानी इसे मैं अपने वृद्ध मां-बाप की सेवा में लगा देता हूं। तीसरा मैं उधार दे देता हूं, अर्थात् अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में लगा देता हूं। और चौथा मैं मिट्टी में गाड़ देता हूं, मतलब कि मैं एक पैसे की बचत कर लेता हूं, ताकि समय आने पर मुझे किसी से मांगना न पड़े और मैं इसे धार्मिक, सामाजिक या अन्य आवश्यक कार्यों में लगा सकूं।Ó राजा को अब किसान की बात समझ आ चुकी थी। वह जान चुका था कि यदि उसे प्रसन्न एवं संतुष्ट रहना है तो उसे भी अपने अर्जित किये धन का सही-सही उपयोग करना होगा।

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