नवरात्र में शुरू हुआ रंगाई-पुताई का काम इन दिनों चरम पर है। रंग-पेंट की दुकानों पर ग्राहकी एक सप्ताह में ही दुगनी हो गई है। लोग पेंटर के साथ रंंग पसंद कर खरीदारी के लिए दुकानों पर पहुंच रहें है। बारिश में बदरंग हुए मकान रंगाई-पुताई के बाद सजे-संवरे दिख रहें हैं। नए मकान की दीवारों के लिए प्राइमर व पुट्टी का उपयोग कर रहे हैं, ताकि रंग की खपत कम हो सके। इसके साथ कलर के कॉम्बिनेशन व मेटेलिक कलर पसंद कर रहे हैं। उनका मानना है कि एक बार खर्च करने पर पांच साल तक देखने की जरूरत नहीं है। बाजार में एशियन, अल्टीमा, जोतून, डीलक्स व बर्जर कंपनियों सहित अन्य रंग बिक रहे हैं।
ब्रुश के बाद रोलर से हो रही पुताई
आधुनिकीकरण के दौर में रंगाई-पुताई का काम भी अछूता नहीं रहा है। कुच्ची और बु्रश के दौर को पीछे छोड़ रोलर और स्प्रे से पुताई का चलन आ गया है। पेंटरों का कहना है कि ब्रश की तुलना में रोलर की पुताई में एकरूपता होने से दीवारों में अच्छी चमक आती है। एक ही कमरे में चौथी दीवार व छत पर अलग रंग कराने का चलन भी जोरों पर है।
आधुनिकीकरण के दौर में रंगाई-पुताई का काम भी अछूता नहीं रहा है। कुच्ची और बु्रश के दौर को पीछे छोड़ रोलर और स्प्रे से पुताई का चलन आ गया है। पेंटरों का कहना है कि ब्रश की तुलना में रोलर की पुताई में एकरूपता होने से दीवारों में अच्छी चमक आती है। एक ही कमरे में चौथी दीवार व छत पर अलग रंग कराने का चलन भी जोरों पर है।
कम्प्यूटरीकृत मशीन से बनते हैं कलर-
रंग-पेंट बाजार भी हाईटेक हो गया है। पहले कम्पनियां रंगों के दो दर्जन शेड्स ही बेचती थीं। अब विक्रेताओं के यहां कम्प्यूटराइज्ड कलर मिक्सर मशीन है। यह 16 आधार रंगों से करीब पांच हजार शेड्स तैयार करती है। मशीन खुद ही चाहे गए शेड के कोड से डिस्टेम्पर व इमलशन में निर्धारित मात्रा में कलर घोलती है।
रंग-पेंट बाजार भी हाईटेक हो गया है। पहले कम्पनियां रंगों के दो दर्जन शेड्स ही बेचती थीं। अब विक्रेताओं के यहां कम्प्यूटराइज्ड कलर मिक्सर मशीन है। यह 16 आधार रंगों से करीब पांच हजार शेड्स तैयार करती है। मशीन खुद ही चाहे गए शेड के कोड से डिस्टेम्पर व इमलशन में निर्धारित मात्रा में कलर घोलती है।
डिस्टेम्पर की जगह इमलशन का जोर
कली और चूने की पुताई के दौर के बाद चलन में आया डिस्टेम्पर अब इमलशन के आगे फीका पड़ गया है। कम खर्च में अधिक चमक और ज्यादा एरिया कवरेज की वजह से इमलशन रंग लोगों की खासे पसंद आ रहें हैं। दुकानदारों के अनुसार इमलशन की पुताई डिस्टेम्पर से ज्यादा दिन तक चमकती है। बाजार में कई कम्पनियों ने एडवांस क्वालिटी के महंगे रंग भी बाजार में उतारे है।
कली और चूने की पुताई के दौर के बाद चलन में आया डिस्टेम्पर अब इमलशन के आगे फीका पड़ गया है। कम खर्च में अधिक चमक और ज्यादा एरिया कवरेज की वजह से इमलशन रंग लोगों की खासे पसंद आ रहें हैं। दुकानदारों के अनुसार इमलशन की पुताई डिस्टेम्पर से ज्यादा दिन तक चमकती है। बाजार में कई कम्पनियों ने एडवांस क्वालिटी के महंगे रंग भी बाजार में उतारे है।
कली के साथ विदा हुई कुच्ची
एक जमाने में लोग कली-चूने से घरों की पुताई में मूंज की कुच्ची का उपयोग करते थे। समय के बदलाव के साथ ही कम वजन वाले प्लास्टिक के ब्रुश बाजार में आने से वजन दार कुच्ची चलन से बाहर हो गई है। स्थिति यह है कि चूने की पुताई में भी पेंटर अब ब्रुशों का ही उपयोग करते हैं। बाजार में कली-चूने की खपत भी नाम मात्र की रह गई है।
एक जमाने में लोग कली-चूने से घरों की पुताई में मूंज की कुच्ची का उपयोग करते थे। समय के बदलाव के साथ ही कम वजन वाले प्लास्टिक के ब्रुश बाजार में आने से वजन दार कुच्ची चलन से बाहर हो गई है। स्थिति यह है कि चूने की पुताई में भी पेंटर अब ब्रुशों का ही उपयोग करते हैं। बाजार में कली-चूने की खपत भी नाम मात्र की रह गई है।
नहीं मिल रहे पुताई करने वाले
दीपावली के बाद ही शादी विवाहों का सीजन शुरु होने वाला है। ऐसे में लोग रंगाई-पुताई का सीजन परवान पर है। यही वजह है कि शहर में पुताई करने वालों का टोटा पड़ गया है। श्रमिक सुबह गोपाल टॉकीज के पास स्टेशन रोड़ पर चौपाटी पर एकत्र होते हैं, लेकिन एकाध घंटे में अधिकांश को काम मिल जाता है। दिन चढने के बाद वहां एक भी श्रमिक नहीं मिलता है। पुताई करने वाले सुगरसिंह, प्रेमसिंह, मोहनसिंह, योगेश कुमार ने बताया कि दिहाड़ी मजूदरी की वजह से लोग श्रमिकों को जल्दी ले जाते हैं।
दीपावली के बाद ही शादी विवाहों का सीजन शुरु होने वाला है। ऐसे में लोग रंगाई-पुताई का सीजन परवान पर है। यही वजह है कि शहर में पुताई करने वालों का टोटा पड़ गया है। श्रमिक सुबह गोपाल टॉकीज के पास स्टेशन रोड़ पर चौपाटी पर एकत्र होते हैं, लेकिन एकाध घंटे में अधिकांश को काम मिल जाता है। दिन चढने के बाद वहां एक भी श्रमिक नहीं मिलता है। पुताई करने वाले सुगरसिंह, प्रेमसिंह, मोहनसिंह, योगेश कुमार ने बताया कि दिहाड़ी मजूदरी की वजह से लोग श्रमिकों को जल्दी ले जाते हैं।
रंग सस्ता, मजदूरी महंगी
त्योहार को देखते हुए पुताई कराना लोगों को भारी पड़ रहा है। जितनी राशि का कलर आ रहा है। उससे दोगुनी राशि मजदूरी पर खर्च हो रही है। वर्तमान में एक कारीगर 6 00 से 8 00 रुपए प्रतिदिन मजदूरी मांग रहा है। एक कमरे की पुताई के 1200-1500 रुपए लिए जा रहे हैं।
त्योहार को देखते हुए पुताई कराना लोगों को भारी पड़ रहा है। जितनी राशि का कलर आ रहा है। उससे दोगुनी राशि मजदूरी पर खर्च हो रही है। वर्तमान में एक कारीगर 6 00 से 8 00 रुपए प्रतिदिन मजदूरी मांग रहा है। एक कमरे की पुताई के 1200-1500 रुपए लिए जा रहे हैं।
इस साल अच्छे कारोबार की उम्मीद
कोरोना महामारी के बाद दीपावली पर रंग-पेंट के बाजार में रंगत दिखाई दे रही है। लोग अपने घर और प्रतिष्ठानों की रंगाई-पुताई पर विशेष ध्यान दे रहें हैं। इससे अच्छे कारोबार की उम्मीद है। ग्राहकों की पसंद के अनुसार हर प्रकार के कम्प्यूटराइज रंग बना कर दे रहे हैं।
– देवेन्द्र कुमार, रंग-पेंट्स व्यवसायी।
कोरोना महामारी के बाद दीपावली पर रंग-पेंट के बाजार में रंगत दिखाई दे रही है। लोग अपने घर और प्रतिष्ठानों की रंगाई-पुताई पर विशेष ध्यान दे रहें हैं। इससे अच्छे कारोबार की उम्मीद है। ग्राहकों की पसंद के अनुसार हर प्रकार के कम्प्यूटराइज रंग बना कर दे रहे हैं।
– देवेन्द्र कुमार, रंग-पेंट्स व्यवसायी।