यह हालात जिले के डांग इलाकों में बसे गांवों में चम्बल नदी के उफान ने पैदा कर दिए। करौली जिला तो अभी तक बारिश को तरस रहा है, लेकिन हाडौती इलाके में हुई भारी बारिश के बाद कोटा बैराज से पानी छोड़ा गया तो जिले के करणपुर-मण्डरायल इलाके के कई गांवों में खतरा मंडरा गया।
पानी को तरस रहे बांध-तालाब
प्रदेश के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश से भले ही बाढ़ के हालात बने हों और लबालब होकर बांध-तालाब छलक उठे हों, लेकिन करौली जिला मानसून की बेरुखी से अभी तक अच्छी बारिश को तरस रहा है। सावन में भी अधूरी रही आस के बाद अब भादो में पूरा होने की आमजन उम्मीद लगाए बैठे हैं।
प्रदेश के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश से भले ही बाढ़ के हालात बने हों और लबालब होकर बांध-तालाब छलक उठे हों, लेकिन करौली जिला मानसून की बेरुखी से अभी तक अच्छी बारिश को तरस रहा है। सावन में भी अधूरी रही आस के बाद अब भादो में पूरा होने की आमजन उम्मीद लगाए बैठे हैं।
मानसून की बेरुखी का ही नतीजा है कि जिले का एक भी बांध-तालाब अभी तक जल हिलोरों को तरस रहा है। बांध-तालाबों में जलतरंगें देखने को लालयित जिलेवासी ईश्वर से इलाके में अच्छी बारिश की कामना कर रहे हैं, लेकिन बदरा केवल बूंदाबांदी करके तरसा रहे हैं।
औसत बारिश को भी तरसे
प्रदेश के पिछड़े जिलों में शुमार करौली जिला इस बार मानसून में भी पिछड़ गया है। स्थिति यह है कि आषाढ़-सावन बीतने के बाद भी जिले में औसत बारिश तक नहीं हुई है। जल संसाधन विभाग सूत्रों के अनुसार जिले की औसत बारिश 550 मिलीमीटर मानी जाती है, लेकिन अब तक महज 362.04 मिलीमीटर बारिश ही जिले में हुई है।
प्रदेश के पिछड़े जिलों में शुमार करौली जिला इस बार मानसून में भी पिछड़ गया है। स्थिति यह है कि आषाढ़-सावन बीतने के बाद भी जिले में औसत बारिश तक नहीं हुई है। जल संसाधन विभाग सूत्रों के अनुसार जिले की औसत बारिश 550 मिलीमीटर मानी जाती है, लेकिन अब तक महज 362.04 मिलीमीटर बारिश ही जिले में हुई है।
एक भी बांध नहीं छलका
जल संसाधन विभाग के अधीन जिले में छोटे-बड़े कुल 13 बांध है, लेकिन एक भी बांध लबालब तो दूर पूर्ण क्षमता के आसपास तक नहीं पहुंचा है। जिले का प्रमुख पांचना बांध अभी भी अपनी भराव क्षमता से करीब पांच मीटर दूर है। कुल 258.62 मीटर की भराव क्षमता का पांचना बांध का जलस्तर अभी 253 मीटर पर है। अन्य बड़े बांधों की बात करें तो 25 फीट की भराव क्षमता का कालीसिल बांध में भी अभी 20.8 फीट पानी है। इन सबसे बुरी स्थिति हिण्डौन इलाके के सबसे बड़े जगर बांध की है, जिसका पेटा पूरी तरह पानी को तरस रहा है।
जल संसाधन विभाग के अधीन जिले में छोटे-बड़े कुल 13 बांध है, लेकिन एक भी बांध लबालब तो दूर पूर्ण क्षमता के आसपास तक नहीं पहुंचा है। जिले का प्रमुख पांचना बांध अभी भी अपनी भराव क्षमता से करीब पांच मीटर दूर है। कुल 258.62 मीटर की भराव क्षमता का पांचना बांध का जलस्तर अभी 253 मीटर पर है। अन्य बड़े बांधों की बात करें तो 25 फीट की भराव क्षमता का कालीसिल बांध में भी अभी 20.8 फीट पानी है। इन सबसे बुरी स्थिति हिण्डौन इलाके के सबसे बड़े जगर बांध की है, जिसका पेटा पूरी तरह पानी को तरस रहा है।
कुल 30 फीट भराव क्षमता के जगर में महज 11.5 फीट पानी है। कमोबेश यही स्थिति मामचारी की है। हालांकि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि अभी बारिश का दौर शेष है। ऐसे में उम्मीद है कि आगामी दिनों में पानी आ सकता है।
मायूस मामचारी
गत वर्षों तक लबालब होने के बाद छलककर पिकनिट स्पॉट बनने वाले मामचारी बांध को तो मानो इस बार नजर ही लग गई है। कुल 19 फीट के मामचारी बांध के पेटे में महज 4.1 फीट पानी है।
गत वर्षों तक लबालब होने के बाद छलककर पिकनिट स्पॉट बनने वाले मामचारी बांध को तो मानो इस बार नजर ही लग गई है। कुल 19 फीट के मामचारी बांध के पेटे में महज 4.1 फीट पानी है।