scriptराजस्थान के करौली के कालागुड़ा गांव में कैंसर बना काल,मौत की आहट से दहशत में हैं ग्रामीण,5 वर्ष में 17 की हुई है मौत | In Kalaguda, there is a deadly disease of cancer in the village. | Patrika News

राजस्थान के करौली के कालागुड़ा गांव में कैंसर बना काल,मौत की आहट से दहशत में हैं ग्रामीण,5 वर्ष में 17 की हुई है मौत

locationकरौलीPublished: Oct 11, 2018 07:02:26 am

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vinod sharma

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In Kalaguda, there is a deadly disease of cancer in the village.

राजस्थान के करौली के कालागुड़ा गांव में कैंसर बना काल,मौत की आहट से दहशत में हैं ग्रामीण,5 वर्ष में 17 की हुई है मौत


विनोद शर्मा
करौली. जिले की सपोटरा तहसील के एक छोटे से गांव कालागुड़ा में कैंसर की जानलेवा बीमारी काल बनी हुई है। इस गांव तथा आसपास की ढाणियों के ग्रामीण इन दिनों मौत की आहट से दहशत में हैं। इसका कारण है कि इस क्षेत्र को कैंसर ने अपनी जकडऩ में लिया हुआ है। इस इलाके में कैंसर से पांच साल में १७ ग्रामीणों की मौत हो चुकी है, जबकि आधा दर्जन ग्रामीण पीडि़त हैं। इस स्थिति से चिकित्सा विभाग और प्रशासन बेखबर है।
९० घरों की बस्ती वाले कालागुड़ा गांव में पांच साल पहले कैंसर रोग ने दस्तक दी। कंचन पत्नी रामस्वरुप मीना की तबीयत खराब होने पर जयपुर में दिखाया, जिसको चिकित्सकों ने कैंसर पीडि़त बताया। उपचार शुरू होने के कुछ दिन बाद ही उसने दम तोड़ दिया। इसके बाद गांव में लगातार कैंसर से मौत हो रही हैं। ग्रामीणों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि चारों तरफ से हरियाली पहाडिय़ों से घिरे कालागुडा, तिखूटी तथा बांसारी में कैंसर जैसे घातक रोग ने कैसे पैर पसारे हैं।
शरीर के हिस्सों में गांठ
कालागुड़ा, बांसारी में अधिकतर कैंसर रोगियों के शरीर के विभिन्न हिस्सों में गांठ होती हैं। शुरुआत में गांठ में दर्द नहीं हुआ। इस कारण पीडि़तों ने गम्भीरता से नहीं लिया। बाद में गांठ बढ़ती गई तथा असहनीय दर्द होने पर पीडि़तों ने जयपुर व अहमदाबाद के अस्पतालों में दिखाया। वहां पर चिकित्सकों ने कैंसर की पुष्टि की। ग्रामीणों के सिर, पैर, पीठ तथा पेट के हिस्से में गांठें हुई, जो जांच में कैंसर निकली। अभी भी दो ग्रामीण पीडि़त हैं, जिनके भी शरीर के हिस्से में गांठ है।
कैंसर से इनकी हो चुकी मौत
कालागुड़ा के रामचरण मीना पुत्र गोलू मीना, कलावती पत्नी बृजमोहन मीना, कंचन पत्नी रामस्वरूप, फूलवती पत्नी मांग्या,रामफूल पुत्र धोकल, अमृतलाल पुत्र श्रीया, मनका पत्नी जगन मीना. तिखूटी के रामस्वरूप पुत्र चौथा मीना, देवफूल पुत्र मिश्रया मीना,बांसारी के घिसया मीना, सुका पत्नी घिसया मीना, चंन्द्रकला बैरवा पत्नी रामनारायण बैरवा, गुन्या पुत्र नत्थू बैरवा सहित दो अन्य की मौत हो गई। इनमें से रामफूल मीना व अमृतलाल मीना की मौत दो माह के दौरान हुई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के अनुसार कारण तथा लक्ष्ण
इन कारणों से आते हैं चपेट में
किसी भी प्रकार का इरिटेशन
तम्बाकू का सेवन
विकिरणों का प्रभाव
आनुवांशिकता
शराब का सेवन
इन्फेक्शन
इन लक्ष्णों से पहचान सकते हैं कैंसर को
लंबे समय तक गले में खराश होना।
आहार निगलने में रुकाव होना।
शरीर में गठान पडऩा।
कहीं से भी पानी या रक्त बहाव होना।
त्वचा में मस्सा या तिल में तात्कालिक परिवर्तन
आवाज बदल जाना।
ग्रामीण भयभीत
मेरे गांव कालागुड़ा के ग्रामीण तेजी से कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। गांव में सात जनों की मौत तो चुकी है। समीप की ढाणियों को मिलाकर १७ जने कैंसर से मर गए हैं।
रत्तीराम मीना ग्रामीण कालागुडा
मांग की सुनवाई नहीं
ये सही है कि कालागुड़ा व उसकी ढाणियों में दर्जनों लोगों की मौत कैंसर से हुई है। चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से पानी की जांच कराने तथा कारणों का पता लगाने को कहा भी तो उन्होंने गंभीरता नहीं दिखाई है।
बत्तीलाल, सरपंच कालागुडा
चिंता की बात है
छोटे से गांव से अधिक संख्या में कैंसर रोगी सामने आना चिंता की बात है, इसकी रिपोर्ट अधिकारियों को भेजेंगे।
डॉ. ऋषिराज शर्मा नोडल अधिकारी कैंसर उपचार केन्द्र करौली
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