उपेक्षित बच्चों के पालन में सरकारी की व्यवस्थाएं सिर्फ दिखावा,बाल अपचारी संग उपेक्षित बच्चे, गलत संगत की आशंका
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उपेक्षित बच्चों के पालन में सरकारी की व्यवस्थाएं सिर्फ दिखावा,बाल अपचारी संग उपेक्षित बच्चे, गलत संगत की आशंका
करौली. जिले में उपेक्षित व बेसहारा बच्चों के लालन-पालन में सरकारी की संस्थाएं सिर्फ दिखावा कर रही है। करौली में बेसहारा व उपेक्षित बच्चों को बाल अपचारियों के संग रखा जाता है, जिससे उपेक्षित बच्चों के बचपन पर गलत संगत का असर भी पड़ सकता है। बाल संप्रेक्षण एवं किशोर गृह के भवन में आठ बाल अपचारी रहते है, इसी भवन में चार अपेक्षित व असहाय बच्चों को रखा जाता है। दो भाई-बहन तो बालक है। वे भी इनके साथ खेलते-कूदते हैं। आपस में मिलते हैं और बातचीत होती है। ऐसे में इन बच्चों पर भी संगत का असर पडऩे का खतरा बना हुआ है। कई बाल अपचारियों की उम्र तो 16 से 1७ साल के बीच है। इन बाल अपचारियों के खिलाफ गंभीर मामले भी है। उपेक्षितत व बेसहारा बच्चों के लिए जिला बाल संरक्षण समिति व बाल संरक्षण आयोग जैसी एंजेसियों का गठन किया हुआ है। असलियत में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए बनी एजेंसियां सिर्फ कागजों में काम कर रही है। उपेक्षित बच्चों को रखने के लिए जिले में नहीं तो बिल्डिंग और न ही पर्याप्त स्टाफ ऐसे में संप्रेक्षण गृह में इन्हें रखकर काम चलाया जा रहा है। कई बार तो स्थिति यह हो जाती है अधिकारी बाल अपचारियों से पूछताछ करते है तो छोटे बच्चे इन्हें देखते है।
नया भवन नहीं मिल रहा है
बाल अपचारियों के साथ उपेक्षित बच्चों के रहने से विभाग के अधिकारी भी चिंतित, लेकिन उन्हें सुधार के लिए रास्ता नहीं दिख रहा है। अधिकारियों ने बताया कि उपेक्षित बच्चों के लिए अलग से नया भवन किराए पर लेना है। लेकिन सरकार ने जो किराया निर्धारित किया है। उसके हिसाब से नया भवन किराए पर नहीं मिल रहा है। इस कारण उपेक्षित व असहाय बच्चों को बाल अपचारियों के संप्रेक्षण गृह में रखा जाता है। किराए से नया भवन मिलने पर बच्चों को अलग रखा जाएगा।
अगल कमरों में व्यवस्था है
उपेक्षित व असहाय बच्चों के लिए अलग से भवन की तलाश की जा रही है। अभी बाल संप्रेक्षण ग्रह में उन्हें रखा जाता है। हालांकि अलग कमरों में व्यवस्था की गई है।
श्रीनारायण मीना अधीक्षक राजकीय बाल संप्रेक्षण एवं किशोर गृह बाल अधिकारिता विभाग करौली।
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