कोविड वार्ड में 41 मौत यहां के चिकित्सालय में जब अप्रेल माह में कोविड के मरीज आने लगे तो 10 अप्रेल से कोविड वार्ड शुरू कर दिया गया। जैसे-जैसे कोविड मरीजों की संख्या बढऩे लगी तो वार्ड और पलंगों का विस्तार भी किया जाता रहा। पुराने चिकित्सालय में अभी कोरोना के 4 वार्ड संचालित हैं जिनमें 100 मरीजों के एक साथ उपचार के प्रबंध किए हुए हैं। कोविड उपचार के लिए बनाए गए इन वार्डो में 7 मई तक 225 से अधिक मरीज भर्ती किए गए हैं। इनमें से 41की मृत्यु उपचार के दौरान हो गई जबकि 10 को जयपुर गंभीर स्थिति में जयपुर रैफर किया गया।
वार्ड-उपचार एक समान, मौत का कारण अलग कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के चलते हो रही मौतों को कोरोना के कारण कम दर्शाया जा रहा है। कहते है सरकार के इशारे पर ऐसा किया जा रहा है।
यहां जिला चिकित्सालय में बीते एक माह में मौतों की बढ़ी हुई संख्या आंकड़ों से साफ जाहिर होती है लेकिन चिकित्सा अधिकारी यहां पर कोविड से मौतों की संख्या केवल 10 बताते हैं। हास्यास्पद स्थिति यह है कि कोविड वार्ड में भर्ती होने, कोविड संक्रमण का उपचार किए जाने और मृत्यु होने पर कोविड की गाइड लाइन के अनुसार अंतिम संस्कार किए जाने पर भी चिकित्सा अधिकारी ऐसे मरीजों की कोविड से मौत नहीं मानते हैं।
नियम ही दोषपूर्ण कोविड से मौत दर्शाने के मामले में सरकार के नियम दोष पूर्ण हैं। सरकार द्वारा केवल उन लोगों की मौतों को कोविड से माना जा रहा है, जिनकी आरटीपीसीआर (कोविड की लैब रिपोर्ट) रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। जबकि काफी संख्या में लोगों की मृत्यु सीटी स्कैन में एचआरसीटी रिपोर्ट के पॉजीटिव आने के बाद हुई हंै। इस रिपोर्ट से फेफड़ों में संक्रमण का पता चलता है। इस बार लंग्स संक्रमण के कारण अधिक मौत हो रही हैं। इस कारण चिकित्सक भी कोविड के लक्षण वाले मरीजों की सीटी स्कैन कराने पर अधिक जोर दे रहे हैं।
खुद सरकार प्रचारित कर रही है कि कोविड की दूसरी लहर में वायरस सीधे लंग्स (फेफड़ों) को प्रभावित कर रहा है। बावजूद इसके फेफड़ों के संक्रमण से हुई मौतों को कोरोना की मौतों की गिनती में शामिल नहीं किया जा रहा है। जिला चिकित्सालय में १० अप्रेल बाद से ऐसी मौतों की संख्या 25 है। इसके अलावा कोविड वार्ड में 7 ऐसे मरीजों की भी जान गई है जो संदिग्ध तौर पर कोरोना संक्रमित थे। वे कोविड वार्ड में भर्ती रहे और कोरोना का इलाज लेते हुए दिवंगत हुए।
इनका कहना है.. यह सच है कि पिछले महीनों के मुकाबले में चिकित्सालय में मौतों की संख्या अधिक है लेकिन कोविड से मौत केवल 10 हैं। सरकार के नियम के अनुसार लैब की पॉजीटिव रिपोर्ट के आधार पर ही कोरोना संक्रमित मानते है। हालांकि एचआरसीटी में संक्रमण आने पर कोविड का उपचार किया जाता है।
सीटी स्कैन से कोविड संक्रमण का पता चलता है लेकिन ऐसे संक्रमित मरीजों की मौत को कोविड की गिनती में शामिल करने का नियम नहीं है।
डॉ. दिनेश गुप्ता, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, जिला चिकित्सालय करौली।