चिकित्सालय सूत्र बताते हैं कि करीब ढाई वर्ष पहले लगभग 30-35 लाख रुपए कीमत की फुली ऑटो एनालाइजर मशीन चिकित्सालय को राज्य सरकार से आवंटित हुई थी। नई टेक्नोलॉजी की इस मशीन के आने से उम्मीद जागी थी कि रोगियों को समय पर सटीक रिपोर्ट मिल सकेगी, लेकिन उनकी यह उम्मीद अभी अनदेखी के दंश में दफन हो रही है। मजे की बात यह है कि उपयोग नहीं हो पाने से इस जांच मशीन पर लापरवाही की गर्द छा रही है और धरी-धरी खराब भी हुई है।
इस कारण कम से कम दो बार संबंधित कम्पनी के इंजीनियर ने यहां आकर मशीन की सर्विस भी किया। इसका यूपीएस भी खराब हुआ जिसे भी सही कराया गया। सूत्र बताते हैं कि काम में नहीं लेने के बावजूद अभी भी मशीन में तकनीकी खराबी है।
यह हो रहा नुकसान
वर्तमान में चिकित्सालय की लैब में सेमी ऑटोलाइजर मशीन से रोगियों के सैम्पलों की जांच की जा रही है। लैब में प्रतिदिन 150 से 200 तक रोगियों की जांच की जाती है। सुगर, यूरिया, क्रिटिनिट, एसजीओटी, एसजीपीटी, सीरम विल्ड्रोन, टोटल प्रोटीन एल्बोमिन सहित अन्य विभिन्न जांचें होती हैं। सेमी ऑटोलाइजर से जांच करने की प्रक्रिया में समय अधिक लगता है।
वर्तमान में चिकित्सालय की लैब में सेमी ऑटोलाइजर मशीन से रोगियों के सैम्पलों की जांच की जा रही है। लैब में प्रतिदिन 150 से 200 तक रोगियों की जांच की जाती है। सुगर, यूरिया, क्रिटिनिट, एसजीओटी, एसजीपीटी, सीरम विल्ड्रोन, टोटल प्रोटीन एल्बोमिन सहित अन्य विभिन्न जांचें होती हैं। सेमी ऑटोलाइजर से जांच करने की प्रक्रिया में समय अधिक लगता है।
इसके चलते रोगियों को कई घण्टे तक जांच रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में रोगी जांच के इंतजार में बैठे रहते हैं या फिर प्राइवेट लैब पर जांच कराने जाने को मजबूर होते हैं। देरी से रिपोर्ट के कारण मरीजों का नुकसान यह होता है कि चिकित्सालय समय पूरा होने पर चिकित्सक घरों को रवाना हो जाते हैं।
इसके बाद या तो रोगी उस जांच को दिखाने के लिए चिकित्सक के घर पहुंचता है, या फिर चिकित्सक के दूसरी पारी में चिकित्सालय आने का इंतजार करता है। इन जांचों में मिलती है मदद
फुली ऑटो एनालाइजर के जरिए बायो कैमिस्ट्री के अन्तर्गत आने वाली जांचें होती हैं। प्रमुख रूप से लीवर, किडऩी, हृदय सहित अन्य सामान्य जांचें भी शामिल हैं।
फुली ऑटो एनालाइजर के जरिए बायो कैमिस्ट्री के अन्तर्गत आने वाली जांचें होती हैं। प्रमुख रूप से लीवर, किडऩी, हृदय सहित अन्य सामान्य जांचें भी शामिल हैं।
इस मशीन के जरिए एक साथ कई जांचें बहुत जल्द हो जाती हैं। जिनकी रिपोर्ट कम्प्यूटर की स्क्रीन पर नजर आती है। ये जांच सटीक भी होती हैं। एक साथ कई जांचें जाने से लैब में भी कामकाज का दबाव कम हो सकता है।
रिजेंट तक नहीं
सूत्र बताते हैं कि फुली ऑटोलाइजर मशीन के लिए चिकित्सालय प्रशासन की ओर से रिजेंट (किट) की भी व्यवस्था तक नहीं की गई है। इस रिजेंट के जरिए ही जांच संभव होती है। बताया जाता है कि यह काफी महंगे भी होते हैं।
सूत्र बताते हैं कि फुली ऑटोलाइजर मशीन के लिए चिकित्सालय प्रशासन की ओर से रिजेंट (किट) की भी व्यवस्था तक नहीं की गई है। इस रिजेंट के जरिए ही जांच संभव होती है। बताया जाता है कि यह काफी महंगे भी होते हैं।
प्रमुख चिकित्सा अधिकारी हैं अनजान
हैरत की बात तो यह है कि फुली ऑटो एनालाइजर मशीन के संचालन नहीं होने के बारे में उनको अता पता ही नहीं है। सामान्य चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी बीएल मीणा ने पत्रिका को बताया कि उनको इस मशीन के बारे में जानकारी नहीं है। ना ही मुझे लैब इंचार्ज ने इस बारे में बताया है। इसका पता करता हूं। फिलहाल तो लैब में सेमी ऑटो लाइजर से जांचें की जा रही हैं।
हैरत की बात तो यह है कि फुली ऑटो एनालाइजर मशीन के संचालन नहीं होने के बारे में उनको अता पता ही नहीं है। सामान्य चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी बीएल मीणा ने पत्रिका को बताया कि उनको इस मशीन के बारे में जानकारी नहीं है। ना ही मुझे लैब इंचार्ज ने इस बारे में बताया है। इसका पता करता हूं। फिलहाल तो लैब में सेमी ऑटो लाइजर से जांचें की जा रही हैं।