वन विभाग की टीम उसको ट्रेंकुलाइज करने के लिए घेराबंदी कर रही है लेकिन उसका अता पता नहीं चल पा रहा। इधर टाइगर से इलाके के लोग खौफजदा हैं। उनकी नींद उड़ी हुई है। इससे ग्रामीणों के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। बच्चों का भी स्कूल जाना बंद है।
पत्रिका टीम शुक्रवार को दुर्गेसीघटा और नाहरदह इलाके में पहुंची तो ग्रामीण टाइगर को लेकर दहशत में नजर आए। उन्होंने रूबरू होते ही सवाल किया कि साहब नाहर को पकड़ लिया है क्या ? ग्रामीणों ने बताया कि तीन दिन से दिन का चैन और रात की नींद उड़ी हुई है।
बच्चों का स्कूल जाना भी बंद है। जरूरी कामकाज के लिए निकलने में भय रहता है।मुश्किल हो गया है। गौरतलब है कि इस इलाके में घना जंगल और गहरी खाई है। इसी इलाके में टाइगर ने चरवाहे पर हमला किया थाा।
दुर्गेसीघटा निवासी बबलू ने कहा कि वन विभाग की टीम घूम तो रही है, एक दिन पहले भी टाइगर के पगमार्क दिखे। उसके बाद टाइगर भी नजर आया। इससे डर बना हुआ है। दुर्गेसीघटा के ही पदमसिंह का कहना था कि तीन दिन से हम लोग परेशान हैं। बच्चें स्कूल नहीं जा पा रहे। जिस रास्ते से शहर को जाते हैं वहां जंगल है। इसी में टाइगर छुपा है। इस कारण अकेले नहीं आ-जा रहे। खेतों से भी शाम ढलने से पहले घरों में पहुंच जाते हैं।
नाहरदह इलाके की महिला दुर्गी ने भी पीड़ा बयां की और बताया कि तीन दिन हो गए। ना तो चैन से सो पा रहे हैं और ना ही कहीं आ-जा पा रहे हैं। जब तक टाइगर यहां से चला नहीं जाता, सुकून नहीं मिलेगा। नाहरदह के ही कृष्णबल्लभ बोला कि टाइगर के डर से मवेशी और बच्चों की रखवाली कर रहे हैं। गद्का की चौकी निवासी वृद्ध मनोहरी का कहना था कि गुरुवार तक टाइगर इसी इलाके में था। उसने घटना के दिन भी टाइगर को देखा था और कुछ अन्य को भी दिखाया।
नाहर के डर से नाहरदह स्कूल पर ताला
नाहर के डर से नाहरदह के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शुक्रवार को सुबह ताला लटका नजर आया। ग्रामीण बोले कि अध्यापक तो आया, लेकिन टाइगर के भय से बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे। स्कूल में करीब 40-50 बच्चे पढ़ते हैं।
इसी प्रकार दुर्गेसीघटा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में भी आसपास के बच्चे ही स्कूल पहुंचे। विद्यालय में 29 बच्चों में से आधे बच्चे ही नजर आए।