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पशु चिकित्सालय में दवाओं का टोटा

locationकरौलीPublished: Nov 20, 2019 11:48:18 am

Submitted by:

Jitendra

बालघाट. राजकीय प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय में दवाओं की कमी से पशुपालक परेशान रहते हैं। कई महत्वपूर्ण दवाएं अस्पताल में नहीं है। उनको महंगे दामों पर पशुपालक बाजार से खरीदते हैं।

पशु चिकित्सालय में दवाओं का टोटा

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-बाजार से महंगी दवा खरीदने को मजबूर पशुपालक
बालघाट. राजकीय प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय में दवाओं की कमी से पशुपालक परेशान रहते हैं। कई महत्वपूर्ण दवाएं अस्पताल में नहीं है। उनको महंगे दामों पर पशुपालक बाजार से खरीदते हैं।पशुपालकों ने बताया कि राज्य सरकार यूं तो पशुधन के लिए कई योजनाएं चला रही है। लेकिन यहां चिकित्सालय में उनके लिए दवा भी नहीं है। पशुओं के जख्मों में कीड़े पडऩे पर दी जाने वाली दवा भी अस्पताल में नहीं है। मुख्य रूप से मवेशियों में पोषक तत्वों बढ़ाने, घाव भरने व ड्रेसिंग के लिए उपयोग में आने वाली दवाएं भी नहीं है। यह दवाएं बाजार में महंगे दामों पर मिलती है।
सुविधाओं का अभाव
क्षेत्र के पशु चिकित्सालयों में पशुओं के इलाज की सुविधाएं भी समुचित नहीं है। पशुओं के बीमार होने पर उनको शहरों में इलाज के लिए ले जाना पड़ता है। जहां समय पर धन की बर्बाद होती है। यही हाल ग्रामीण क्षेत्र के पशु चिकित्सालय के साथ मोरडा, कमालपुरा, बालघाट के प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय का है।
यह बता रहे कारण
पशु चिकित्सालय के चिकित्सकों ने बताया कि जिस फर्म की ओर से दवाइयां अस्पतालों में सप्लाई की जा रही थी। उसे विभाग ने दवाइयों की गुणवत्ता निम्न पाए जाने के कारण ब्लैक लिस्ट कर दिया है। जिस कारण पशु चिकित्सालयों में करीब 6 माह से दवाइयां नहीं आ रही है। नई फर्म से अनुबंध होने के बाद दवाएं आएंगी।
इन दवाओं का टोटा
बालघाट, नांगलशेरपुर, कमालपुरा मोरडा के पशु चिकित्सालयों में मिनरल मिक्सचर, पीपीपोटेशन परमेगनेट साईपी मेथरिन, फ्लू मेथरिन, क्लोमीफेन साईटेट, कोकूकापर, ट्ररपेनटाईन, फिनायल आदि दवाएं नहीं है। अस्पताल में रोजाना इलाज के लिए करीब सौ पशु आते हैं। इस बारे में बालघाट पशुचिकित्सालय के डॉ. गंगा सहाय मीणा का कहना है कि हमारे पास १५ प्रकार की दवाएं नहीं है।
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