लौनिहारों को नहीं मिल रही लौनी, नकद मजदूरी पर ही करा रहे काम
करौलीPublished: Mar 25, 2020 08:36:58 pm
बालघाट. इन दिनों खेतों में गेहूं की कटाई जोरों पर चल रही है। सरसों की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। जिन लोगों ने गेहूं बुवाई की थी वे पकने के बाद अब खेतों में अपने परिवार के साथ गेहूं की कटाई में जुटे हैं। किसान घर की महिलाओं समेत सुबह से खेतों पर जाते हैं, जो देर शाम को लौटते हैं
बालघाट में फसल कटाई करता किसान परिवार।
बालघाट. इन दिनों खेतों में गेहूं की कटाई जोरों पर चल रही है। सरसों की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। जिन लोगों ने गेहूं बुवाई की थी वे पकने के बाद अब खेतों में अपने परिवार के साथ गेहूं की कटाई में जुटे हैं। किसान घर की महिलाओं समेत सुबह से खेतों पर जाते हैं, जो देर शाम को लौटते हैं। किसान नेता शिवदयाल मीणा ने बताया कि इस बार गेहूं का दाना बहुत कमजोर है। अधिकांश खेतिहर मजदूर नकद मजदूरी के बजाय फसल का एक हिस्सा जैसे एक क्विंटल पर 10 किलोग्राम गेहूं लेते हैं। जब काम की अधिकता होती है, तो मजदूर 10 के बजाय 15-20 किलो तक अनाज की मांग रख देते हैं। इसे गांव में लौनी कहा जाता है और इस तरह फसल काटने वालों को लौनिहार कहा जाता है। इस बार फसल अच्छी नहीं हुई है। किसानों के सामने ही अनाज का टोटा बना हुआ है। ऐसे में खेतिहर मजदूरों को लौनी नहीं मिल रही। उनको नकद मजदूरी तय कर कटाई करा रहे हैं। किसानों ने बताया कि कुछ दिनों पहले ओलावृष्टि से फसल खराब हो गई थी, अब जो शेष बची है। उससे जल्द से जल्द काटकर सुरक्षित रखने की जुगत कर रहे हैं, क्योंकि इस समय भी मौसम अक्सर खराब हो जाता है।
किसान दयाचंद मीणा ने बताया कि खेत जितनी जल्दी खाली हो जाएगा उतनी जल्दी उसमें मेंथा की रोपाई कर देंगे। मेंथा की फसल अच्छी हो गई तो ओलावृष्टि से गेहूं में हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी।