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कुम्हार कहे माटी से कोराना में कैसे गुजारा होय

locationकरौलीPublished: Apr 05, 2020 08:39:33 pm

Submitted by:

Jitendra

गुढ़ाचन्द्रजी. कमाई के लिए गर्मी के दिनों के इंतजार में बैठे कुम्हारों के धंधे पर भी कोराना ने शुरुआत में ही ग्रहण लगा दिया। लॉकडाउन ने कुम्हार के चाक पर ब्रेक लगा दिए।

कुम्हार कहे माटी से कोराना में कैसे गुजारा होय

गुढ़ाचन्द्रजी में चाक से मटकियां बनाता कुंभकार।

फोटो..
सीजन की शुरुआत में ही कमाई ठप

गुढ़ाचन्द्रजी. कमाई के लिए गर्मी के दिनों के इंतजार में बैठे कुम्हारों के धंधे पर भी कोराना ने शुरुआत में ही ग्रहण लगा दिया। लॉकडाउन ने कुम्हार के चाक पर ब्रेक लगा दिए। हालांकि वे १४ अप्रेल को लॉकडाउन खत्म होने के इंतजार में है। कुम्हारों ने बताया की गर्मी के शुरुआती दिनों में मटकी-मटकों की बिक्री शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार शुरुआत कमाई ठप हो गई है।
खरीदार आ रहे ना मिल रहा कच्चा माल
अमूमन दीपावली के बाद से मटके बनाना शुरू हो जाता है। तैयार होने के बाद कुम्हार बिक्री के लिए गर्मी के इंतजार में रहते हैं। उनका कहना है कि बिक्री के लिए ना तो खरीदारी आ रहे हैं ना ही नए मटके बनाने के लिए कच्चा माल मिट्टी मिल पा रही है। पकाने के लिए भूसे का भी अभाव है। ढहरिया के कुंभकार गोपाल प्रजापत, टन्नी, सीताराम आदि ने बताया कि इस बार गर्मी की शुरुआत में धंधा ठप होने से रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है। कुंभकारों ने बताया कि होली के बाद से बिक्री शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण संकट आ गया है।

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