उगटा रोग बिगाड़ रहा चने की सेहत
करौलीPublished: Nov 25, 2021 08:54:41 pm
बालघाट. क्षेत्र में चने की फसल में उखटा रोग लगने से किसान चिंतित है। शुरुआत में जिन्होंने बीजोपचार कर बुवाई की थी वह फसल रोग से बच सकती है। तहसील क्षेत्र में १० हजार हेक्टेयर से अधिक में चने की बुवाई हुई है। जिसमें से करीब २५ प्रतिशत में उगटा रोग लगा है।
किसान चिंतित
बालघाट. क्षेत्र में चने की फसल में उखटा रोग लगने से किसान चिंतित है। शुरुआत में जिन्होंने बीजोपचार कर बुवाई की थी वह फसल रोग से बच सकती है। तहसील क्षेत्र में १० हजार हेक्टेयर से अधिक में चने की बुवाई हुई है। जिसमें से करीब २५ प्रतिशत में उगटा रोग लगा है। कृषि के जानकारों के अनुसार खेती में मिट्टी की संरचना के हिसाब से पौधे को पूरे पोषक तत्व नहीं मिलने से फसल रोग की चपेट में आती है। कभी सर्दी अधिक तो कभी कम होने का विपरीत असर भी चने की खेती पर पड़ रहा है। बालघाट, नांगलपहाड़ी, मोरड़ा, कमालपुरा धवान के किसानों ने बताया कि जिन किसानों की फसल में रोग लगा है उनको काफी परेशानी हो रही है।
पीला पड़ सूख रहा पौधा
किसान नेता शिवदयाल मीणा, प्रहलाद सिंह आदि ने बताया कि चने की बुवाई में लागत अधिक आती है। महंगे दामों पर बीच मिलता है इसके बाद दवा, खाद आदि में भी काफी रुपए खर्च होते हैं। ऐसे में यदि रोग लग जाए तो किसानों के सामने मुनाफा तो दूर लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है। उगटा रोग लगने से पौधे की पत्तिया पीली पड़ रही है। कुछ दिन बाद पौधा सूख जाता है। पिछली साल भी फसल में उगटा रोग लगा था। हालांकि चना अभी अंकुरित होना शुरू हुआ है। धीरे-धीरे फसल विकसित हो रही है। शुरुआत में ही फसल को रोग ने जकड़ लिया है
यह करें बचाव
कृषि पर्यवेक्षक सुधीर कुमार मीणा ने बताया कि चने की फसल को उगटा रोग से बचाने के लिए हेक्सआकॉनाजोल नामक दवा का छिड़काव करें। समय पर रोग का पता चल जाए तो फसल को बचाया जा सकता है। यदि बुवाई से पहल ही बीजोपचार कर दिया जाए तो काफी हद तक इस रोग से फसल बच सकती है। जिंक और सल्फर डालकर बुवाई करनी चाहिए। फसल में रोग दिखने पर अधिक सिंचाई नहीं करें। कृषि पर्यवेक्षक कैलाश चन्द्रवाल ने बताया कि रात और दिन के तापमान में अंतर आ रहा है। दिन का तापमान अचानक से बढ़ता जा रहा है। इसके साथ जमीन में ज्यादा सिंचाई करने से मिट्टी गीली हो जाती है। इससे रोग अधिक फैलता है। ऐसे में अधिक सिंचाई नहीं करें। ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें। चार किलोग्राम ट्राइकोड्रर्माको 100
किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर बोआई से पहले प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिलाएं।