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मानसून दहलीज पर गर्मी का सितम नहीं कम

locationकरौलीPublished: Jun 30, 2022 12:06:48 pm

Submitted by:

Jitendra

उमस ने किया बेहाल करौली. मौसम विभाग के अनुसार मानसून राजस्थान की दहलीज पर आ चुका, लेकिन अभी गर्मी का सितम कम नहीं हो रहा। तेज हवा और बादलों की आवाजाही के बीच बारिश के आसार बनते हैं, लेकिन बारिश नहीं हो रही। इस बीच भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं। जून में आखिरी सप्ताह में भीषण गर्मी लोगों पर सितम ढाह रही है। चिलचिलाती धूप के बीच दोपहर को घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। अभी भी तापमान चालीस डिग्री से ऊपर चल रहा है। बुवाई में हो रही देरी बारिश की देरी से किसान भी चिंतित है। बारिश सही समय पर आ ज

मानसून दहलीज पर गर्मी का सितम नहीं कम

मानसून दहलीज पर गर्मी का सितम नहीं कम


करौली. मौसम विभाग के अनुसार मानसून राजस्थान की दहलीज पर आ चुका, लेकिन अभी गर्मी का सितम कम नहीं हो रहा। तेज हवा और बादलों की आवाजाही के बीच बारिश के आसार बनते हैं, लेकिन बारिश नहीं हो रही। इस बीच भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं। जून में आखिरी सप्ताह में भीषण गर्मी लोगों पर सितम ढाह रही है। चिलचिलाती धूप के बीच दोपहर को घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। अभी भी तापमान चालीस डिग्री से ऊपर चल रहा है।
बुवाई में हो रही देरी

बारिश की देरी से किसान भी चिंतित है। बारिश सही समय पर आ जाए तो अमूमन जून के अंत तक अधिकतर जगहों पर बाजरे की बुवाई हो जाती है, लेकिन बारिश के अभाव में फसल बुवाई में भी देरी हो रही है। किसानों ने बताया कि पिछले दिनों हुई बारिश के बाद खेतों की जुताई कर बुवाई की तैयारी की थी, लेकिन तापमान में कमी नहीं होने से बुवाई नहीं कर पाए। अधिक तापमान में बीज जलने के अंदेशे से भूमि में पर्याप्त नमी और तापमान कम होने का इंतजार कर रहे है।
प्री मानसून बारिश का अभाव

हर साल प्री मानसून बारिश में अधिकतर जगह बुवाई हो जाती है। अगेती फसल के अंतर्गत आने वाली यह बुवाई पैदावार की दृष्टि से काफी फायदेमंद रहती है, लेकिन इस साल प्री मानसून बारिश भी बेहतर तरीके से नहीं हुई। एक दो दिन प्री मानसून बारिश हुई, लेकिन तापमान में लंबे समय तक कोई खास गिरावट नहीं आने से यह बुवाई में बाधक रहा। भूमि में नमी के अभाव में किसान बुवाई नहीं कर सके।
प्राकृतिक जलस्रोत हो चुके खाली

चार माह से पड़ रही भीषण गर्मी और तेज धूप से ताल तलैया खाली हो चुके हैं। कुछ में छिटपुट पानी जरूर है, लेकिन यह नहीं होने के बराबर ही है। प्री मानसून बारिश में हर साल इस जलस्रोतों में पानी की आवक हो जाती थी, लेकिन इस साल जलस्रोतों में पानी नहीं आया है। अब मानसूनी बारिश से इन जलस्रोतों के तर होने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि जिले में कई इलाके ऐसे ही जहां पानी के लिए सालभर केवल प्राकृतिक जलस्रोतों पोखर, तालाब आदि का सहारा रहता है।
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