बुवाई में हो रही देरी बारिश की देरी से किसान भी चिंतित है। बारिश सही समय पर आ जाए तो अमूमन जून के अंत तक अधिकतर जगहों पर बाजरे की बुवाई हो जाती है, लेकिन बारिश के अभाव में फसल बुवाई में भी देरी हो रही है। किसानों ने बताया कि पिछले दिनों हुई बारिश के बाद खेतों की जुताई कर बुवाई की तैयारी की थी, लेकिन तापमान में कमी नहीं होने से बुवाई नहीं कर पाए। अधिक तापमान में बीज जलने के अंदेशे से भूमि में पर्याप्त नमी और तापमान कम होने का इंतजार कर रहे है।
प्री मानसून बारिश का अभाव हर साल प्री मानसून बारिश में अधिकतर जगह बुवाई हो जाती है। अगेती फसल के अंतर्गत आने वाली यह बुवाई पैदावार की दृष्टि से काफी फायदेमंद रहती है, लेकिन इस साल प्री मानसून बारिश भी बेहतर तरीके से नहीं हुई। एक दो दिन प्री मानसून बारिश हुई, लेकिन तापमान में लंबे समय तक कोई खास गिरावट नहीं आने से यह बुवाई में बाधक रहा। भूमि में नमी के अभाव में किसान बुवाई नहीं कर सके।
प्राकृतिक जलस्रोत हो चुके खाली चार माह से पड़ रही भीषण गर्मी और तेज धूप से ताल तलैया खाली हो चुके हैं। कुछ में छिटपुट पानी जरूर है, लेकिन यह नहीं होने के बराबर ही है। प्री मानसून बारिश में हर साल इस जलस्रोतों में पानी की आवक हो जाती थी, लेकिन इस साल जलस्रोतों में पानी नहीं आया है। अब मानसूनी बारिश से इन जलस्रोतों के तर होने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि जिले में कई इलाके ऐसे ही जहां पानी के लिए सालभर केवल प्राकृतिक जलस्रोतों पोखर, तालाब आदि का सहारा रहता है।