scriptkarauli | करौली के महाराजा गोपालसिंह की छतरी का है ऐतिहासिक महत्व | Patrika News

करौली के महाराजा गोपालसिंह की छतरी का है ऐतिहासिक महत्व

locationकरौलीPublished: Nov 13, 2022 12:22:38 pm

Submitted by:

Jitendra Sharma

छतरी पर नवविवाहिता जोड़ों को भोजन कराने की भी परम्परा करौली. करौली में रियासतकालीन कई ऐतिहासिक स्थल है। जिसमें महाराजा गोपालसिंह की छतरी ऐतिहासिक जगहों में शामिल है। मदनमोहनजी मंदिर के ठीक सामने महाराजा गोपालसिंह की छतरी मौजूद है। करौली के महाराजाओं में महाराजा गोपालसिंह का नाम काफी महत्वपूर्ण रहा है। महाराजा गोपालसिंह ने करौली में कई विकास कार्य कराए, जो आज भी यहां की ऐतिहासिकता को दर्शाते हैं। प्रसिद्ध मदनमोहनजी मंदिर की स्थापना भी गोपालसिंह ने ही कराई।

करौली के महाराजा गोपालसिंह की छतरी का है ऐतिहासिक महत्व
केप्शन करौली. महाराजा गोपालसिंह की छतरी।
करौली के महाराजा गोपालसिंह की छतरी का है ऐतिहासिक महत्व
करौली. करौली में रियासतकालीन कई ऐतिहासिक स्थल है। जिसमें महाराजा गोपालसिंह की छतरी ऐतिहासिक जगहों में शामिल है। मदनमोहनजी मंदिर के ठीक सामने महाराजा गोपालसिंह की छतरी मौजूद है। करौली के महाराजाओं में महाराजा गोपालसिंह का नाम काफी महत्वपूर्ण रहा है। महाराजा गोपालसिंह ने करौली में कई विकास कार्य कराए, जो आज भी यहां की ऐतिहासिकता को दर्शाते हैं। प्रसिद्ध मदनमोहनजी मंदिर की स्थापना भी गोपालसिंह ने ही कराई। 13 मार्च 1757 में महाराजा गोपालसिंह के देहावसान के बाद उनकी अंत्येष्टि स्थल पर स्मारक का निर्माण कराया, जो गोपालसिंह की छतरी के नाम से जाना जाता है। इतिहासकार वेणुगोपाल के अनुसार पिता कुंवरपाल के स्मारक के पास ही गोपालसिंह की छतरी बनवाई गई। गोपालसिंह की छतरी के पास नवविवाहिता जोड़ों को भोजन कराने की परंपरा भी रही है। इस ऐतिहासिक जगह पर पूर्व में स्वामी दयानंद सरस्वती भी एक बार करौली आगमन पर प्रवचन दे चुके हैं।
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