शाही कुण्ड में झलकती है रियासतकालीन शिल्पकला
करौलीPublished: Nov 20, 2022 12:05:16 pm
करौली. शहर में रियासतकालीन ऐतिहासिक स्थलों में भद्रावती नदी के किनारे बने शाही कुण्ड का खासा महत्व है। इतिहासकार वेणुगोपाल शर्मा बताते हैं कि महाराजा प्रतापपाल के शासन में 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में शाही कुण्ड का निर्माण कराया गया था। शुरुआत में कुंड पर रानियों के स्नान की व्यवस्था की गई थी। इसके लिए इसे शाही कुण्ड का नाम दिया गया। बाद में यह शहर की जलापूर्ति के लिए काम आने लगा। कुण्ड के निर्माण के लिए अद्भुत शिल्पकला की गई है। लाल पत्थरों से निर्


करौली शहर का शाही कुण्ड।
करौली. शहर में रियासतकालीन ऐतिहासिक स्थलों में भद्रावती नदी के किनारे बने शाही कुण्ड का खासा महत्व है। इतिहासकार वेणुगोपाल शर्मा बताते हैं कि महाराजा प्रतापपाल के शासन में 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में शाही कुण्ड का निर्माण कराया गया था। शुरुआत में कुंड पर रानियों के स्नान की व्यवस्था की गई थी। इसके लिए इसे शाही कुण्ड का नाम दिया गया। बाद में यह शहर की जलापूर्ति के लिए काम आने लगा। कुण्ड के निर्माण के लिए अद्भुत कारीगरी की गई है। लाल पत्थरों से निर्मित इस कुण्ड का कार्य काफी मजबूती से कराया गया है। कुण्ड पर जाली, झरोखे की कारीगरी लुभाती है। इतिहासकार बताते हैं कि इस कुण्ड में पहले हमेशा पानी रहता था। जिससे उस दौर में पानी की समस्या नहीं थी।