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सात वर्ष से कागजों में दौड़ रहे करौली डिपो को पंख लगने की उम्मीद

locationकरौलीPublished: Dec 16, 2018 07:13:52 pm

Submitted by:

Dinesh sharma

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सात वर्ष से कागजों में दौड़ रहे करौली डिपो को पंख लगने की उम्मीद

करौली. जिला मुख्यालय पर करीब सात वर्ष से कागजों में रेंग रहे करौली रोडवेज डिपो के धरातल पर मूर्त रूप नहीं ले पाने से जिले के कई कस्बे-गांव परिवहन सेवाओं से वंचित हैं। पिछड़े जिलों में शुमार इस जिले के डांग इलाके के सैंकड़ों गांवों के ग्रामीण आज भी यातायात सेवाओं को मोहताज है।
ऐसे में लोग नई सरकार से करौली रोडवेज डिपों के स्वतंत्र संचालन की उम्मीद लगा रहे हैं। वर्षों से यह डिपो हिण्डौन डिपो के अधीन संचालित हो रहा है।

राज्य सरकार ने करौली में रोडवेज डिपो की सौगात दी थी, जिससे लोगों को समुचित परिवहन सेवाओं की आस जगी। इसके बाद यहां के केन्द्रीय रोडवेज बस स्टैण्ड पर डिपो के लिए कार्य भी शुरू हो गया और करीब एक करोड़ रुपए निर्माण कार्यों पर खर्च किए गए।
इसके बाद कांग्रेस सरकार में दिसम्बर 2012 में पूर्व सरकार के परिवहन मंत्री ने डिपो का उद्घाटन भी कर दिया, लेकिन अब तक भी करौली डिपो का स्वतंत्र संचालन नहीं होकर इसे हिण्डौन के अधीन संचालित किया जा रहा है।
बस आवंटित, स्टाफ भी स्वीकृत
विशेष बात यह है कि रोडवेज मुख्यालय से करौली डिपो के नाम से दो दर्जन से अधिक बसें भी आवंटित की हुई हैं। इसके अलावा आगार प्रबंधक सहित विभिन्न पद भी यहां स्वीकृत कर नियुक्ति भी कर दी गई, लेकिन इसे दुर्भाग्य ही माना जाएगा कि डिपो निर्माण की कुछ कमियों को अब तक पूरा नहीं किया गया है।
नतीजतन मुख्य प्रबंधक के पद को भी समाप्त कर हिण्डौन के ही अधीन कर दिया गया। धीरे-धीरे यहां के स्टाफ को हिण्डौन बुला लिया गया। राज्य सरकार की इस अनदेखी के चलते करौलीवासियों की उम्मीदें धुमिल हो गईं।
ये निर्माण हुआ पूरा
रोडवेज निगम के सूत्र बताते हैं कि केन्द्रीय बस स्टैण्ड पर डिपो के लिए लम्बा-चौड़ा ऑफिस बनकर तैयार है। चालक-परिचालकों के लिए विश्रामगृह भी बन चुका है। स्टैण्ड भी पर्याप्त है।
इनकी है दरकार
डिपो के लिए बस स्टैण्ड परिसर में वर्कशॉप का निर्माण तो कराया गया, लेकिन बजट के अभाव में यह आधा-अधूरा ही पड़ा है। वहीं अभी पेट्रोल (डीजल) पम्प की भी दरकार है। सूत्र बताते हैं कि पेट्रोल पम्प और वर्कशॉप का निर्माण पूरा कर दिया जाए तो डिपो शुरू हो सकता है।
यह स्टाफ किया था स्वीकृत
सूत्रों के अनुसार करौली डिपो के लिए चीफ मैनेजर, मैनेजर टै्रफिक, मैनेजर वर्कशॉप (एमओ), मैनेजर एडमिनिस्ट्रेट, यातायात निरीक्षक सहित लिपिकों के पद यहां स्वीकृत किए गए। इसके साथ ही चालक-परिचालक भी हैं। दो दर्जन से अधिक बसें भी करौली डिपो के नाम से आवंटित हैं।
पृथक से चार्ट
विशेष बात यह है कि भले ही करौली डिपो का संचालन हिण्डौन के अधीन हो रहा है, लेकिन करौली का ड्यूटी चार्ट पृथक से तैयार होता है।

इसलिए अधिक उम्मीद
करौली डिपो की सौगात कांग्रेस सरकार में मिली थी, और कांग्रेस सरकार के मंत्री द्वारा ही डिपो का उद्घाटन किया गया था। हालांकि उस दौरान डिपो का कार्य पूर्ण होने से पहले ही आनन-फानन में उद्घाटन कर दिया गया। नाम से पृथक-पृथक सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। कार्मिक भी दोनों डिपो के नाम से पृथक-पृथक हैं।
कुछ कमियां हैं
करौली डिपो के नाम से पृथक से सभी कार्य होते हैं। कर्मचारियों की कमी है। अभी पेट्रोल पम्प भी नहीं बना है।
बहादुर सिंह, चीफ मैनेजर, हिण्डौन रोडवेज डिपो
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