जरूरत 48 लाख की मिलते 23 लाख
नगरपरिषद के अधिकारी, कर्मचारी व सफाईकर्मियों के वेतन के लिए प्रतिमाह ४८ लाख रुपए की आवश्यकता होती है। जबकि चुंगी मद के बदले सरकार से २३ लाख रुपए उपलब्ध हो पाते हैं। इस कारण वेतन मद में शेष २५ लाख रुपए की व्यवस्था नगर परिषद को अपने स्तर पर करनी पड़ती है। यह काम परिषद के लिए काफी मुश्किल बना हुआ है। इसी कारणसे नगरपरिषद पर वेतन मद की ही २५ लाख रुपए की देनदारी प्रतिमाह बढ़ती जा रही है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने का ही कारण है कि वर्तमान में सफाईकर्मी, लिपिक व तकनीकी विभाग के अभियंता व कर्मचारियों को तीन माह से वेतन भुगतान नहीं मिला है। सेवानिवृत होने वाले कार्मिक भी अपनी बकाया के लिए चक्कर काटते रहते हैं।
पानी-बिजली के १४ करोड़ बकाया
नगरपरिषद करौली पर बिजली निगम के १४ करोड़ रुपए की उधारी है। सार्वजनिक रोशनी व्यवस्था के साढ़े तीन करोड़ रुपए व पेयजल योजनाओं पर सवा दस करोड़ रुपए लम्बे समय से बकाया चल रहे हैं। मार्च में वसूली अभियान के दौरान यह कनेक्शन कटने की नौबत आई तो कलक्टर ने मध्यस्थता करके मामला सुलटा दिया था। लेकिन अब फिर उधारी बढ़ गईहै। बिजली निगम ने बिलों के भुगतान की राशि जमा नहीं कराने पर परिषद के बिजली-पानी कनेक्शन काटने के लिए नोटिस जारी कर दिए हैं।
विकास का फंड नहीं आ रहा
परिषद की तंगी का कारण यह भी है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद राज्य वित्त आयोग पंचाम की राशि का आवंटन नहीं किया है। सूत्रों ने बताया कि राज्य वित्त आयोग पंचम से साढे तीन करोड़ व 1३ वें वित्त आयोग से दो करोड़़ रुपए के लगभग मिलता है। इससे वेतन व छोटी देनदारी की समस्या का सुलटारा हो सकता था, लेकिन यह राशि परिषद को नहीं मिली है। नगरपरिषद ने करौली शहर में जिला परिषद रोड, तीन बड, मण्डरायल रोड सहित विभिन्न स्थानों पर दस-दस लाख रुपए से सड़कों के विकास कार्य स्वीकृत किए लेकिन बजट की कमी से काम शुरू नहीं हो पाए हैं। अन्य निर्माण कार्यो के भुगतान के लिए ठेकेदार रोजाना लिएपरिषद के चक्कर लगाते है। लेकिन उन्हें भुगतान नहीं मिल रहा है।
अन्य आय स्रोतों का टोटा
नगरपरिषद के पास आय के अपने कोई प्रमुख स्रोत नहीं है। भूमि के पट्टों का काम मंदा पड़ा है। शहर में निर्माण कार्य हो तो खूब रहे हैं लेकिन उनकी स्वीकृति नहीं ली जाती। इसके बावजूद परिषद की ओर से ऐसे निर्माण कर्ताओं से वसूली में सख्ती नहीं की जाती। परिषद की भूमियों पर कब्जे हो रहे हैं। उनकी नीलामी करके आय बढ़ाने की ओर ध्यान नहीं है। प्राइवेट बस स्टैण्ड, थाने के सामने संचालित सब्जी मण्डी की भूमि को लेकर आय के स्रोत बढ़ाए भी जा सकते हैं। बस स्टैण्ड भूमि से किराया वसूली शिथिल है। थडी और ठेले वालों से आय में इजाफा नहीं हो रहा है। स्थानीय स्तर पर विभिन्न दबाव और कारणों से वसूली में परिषद के कार्मिक सुस्ती ही दिखाते हैं। इस कारण आय के अन्य जरिया नहीं बनने से परिषद की कंगाली की स्थिति आ गई है।
पट्टों से बढ़ाएंगे आय
राज्य सरकार से विभिन्न मदों से आवंटित होने बाला बजट नहीं मिला है। इसे प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे है। इसके अलावा जमीन के पट्टे जारी करने की कवायद शुरू हो गई है। पट्टों से प्राप्त आय से आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
राजाराम गुर्जर नगरपरिषद करौली