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करौली के इस अस्पताल में मरीजों को मिलता रेफर का दर्द

locationकरौलीPublished: Jan 18, 2020 03:08:24 pm

Submitted by:

Dinesh sharma

करौली. जिले में चरमराती चिकित्सा व्यवस्थाओं के बीच विशेषज्ञ चिकित्सकों के टोटे ने रोगियों का मर्ज बढ़ा रखा है।

करौली के इस अस्पताल में मरीजों को मिलता रेफर का दर्द

करौली के इस अस्पताल में मरीजों को मिलता रेफर का दर्द

करौली. जिले में चरमराती चिकित्सा व्यवस्थाओं के बीच विशेषज्ञ चिकित्सकों के टोटे ने रोगियों का मर्ज बढ़ा रखा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से लेकर जिला अस्पताल तक में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से रोगियों को रेफर की राह ही दिखाई जाती है। ऐसे में रोगियों को जयपुर सहित अन्य दूरदराज के अस्पतालों में जाने पर परेशानी के साथ आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है।
विशेष परेशानी नेत्र रोगियों को है। जिले में मात्र दो चिकित्सक हैं। जिला अस्पताल में एकमात्र कनिष्ठ नेत्र चिकित्सक पर ओपीडी में मरीजों की जांच के साथ ऑपरेशन थियेटर का जिम्मा भी है। चिकित्सक को नेत्र शिविरों में भी जाना पड़ता है।
इसमें भी अस्पताल प्रबंधन की अनदेखी यह है कि नेत्र चिकित्सक की ड्यूटी अन्य चिकित्सकों की भांति अलग-अलग पारियों में लगा दी जाती है। इस कारण आए दिन ओपीडी में नेत्र रोगियों को नेत्र चिकित्सक के लिए भटकना पड़ता है। यहां वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक का पद करीब एक दशक से रिक्त है।
सूत्र बताते हैं कि नेत्र रोगियों के प्रतिमाह एक चिकित्सक द्वारा कम से कम 35 ऑपरेशन होने चाहिए, लेकिन बीते माह 23 के ही ऑपरेशन हो सके। चिकित्सकों के अभाव में जिले से काफी संख्या में नेत्र रोगी अन्यत्र जाते हैं। वरिष्ठ विशेषज्ञ (सर्जरी) का पद भी लम्बे समय से रिक्त है। जिले के 11 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर नजर डालें तो मात्र एक केन्द्र पर स्त्री रोग और एक केन्द्र पर शिशु रोग का विशेषज्ञ चिकित्सक हैं।
ऑपरेशन थियेटर पर ताला
सपोटरा. उपखण्ड मुख्यालय के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में गत कई वर्षों से चिकित्सकों के पद रिक्त होने से रोगियों को रेफर को राह देखनी पड़ रही है। स्थिति यह है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सकों के अभाव में ऑपरेशन थियेटर पर कई वर्ष से ताला लटका है। इस कारण लाखों रुपए के उपकरण बिना उपयोग के खराब हो रहे हैं। केन्द्र पर स्त्री रोग विशेषज्ञ भी नहीं है। महिला चिकित्सक के नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए 40 किलोमीटर दूर करौली या गंगापुरसिटी जाना मजबूरी है। यहां दुर्घटनाग्रस्त लोगों को केवल मल्हम-पट्टी के अलावा अन्य कोई सुविधा नहीं है। दुर्घटना में जख्मी मरीज को रेफर ही किया जाता है।
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