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बेजुबाओं का दर्द समझ ऐसे बन रहे हैं हमदर्द

locationकरौलीPublished: Apr 09, 2020 09:00:50 pm

Submitted by:

Dinesh sharma

करौली. कोरोना से आई संकट की घड़ी में जहां चहुंओर सामाजिक-धार्मिक संगठनों के साथ सरकारी अधिकारी-कर्मचारी जरुरतमंदों के लिए मदद के हाथ बढ़ा रहे हैं

बेजुबाओं का दर्द समझ ऐसे बन रहे हैं हमदर्द

बेजुबाओं का दर्द समझ ऐसे बन रहे हैं हमदर्द

करौली. कोरोना से आई संकट की घड़ी में जहां चहुंओर सामाजिक-धार्मिक संगठनों के साथ सरकारी अधिकारी-कर्मचारी जरुरतमंदों के लिए मदद के हाथ बढ़ा रहे हैं, वहीं करौली के युवाओं की एक टीम बेजुबाओं के लिए कर्मवीर का कार्य करने में जुटी है।
सायनात खिड़किया मोहल्ले के युवाओं की ये टीम करीब एक सप्ताह से नियमित रूप से सुबह पहले एक से डेढ़ क्विंटल हरा चारा खरीदने के प्रबंध में जुटती है, उसके बाद 70-80 किलो केला खरीदती है। साथ ही बिस्कुट के पैकेटों का भी प्रबंध किया जाता है। इसे पूरी सामग्री को एक जीप में भरकर टीम में शामिल सदस्य मुकेश जैन, दीनदयाल शर्मा दीनू, अनिल शर्मा बस वाले, सोनू शर्मा, सतीश शर्र्मा आदि रवाना होते हैं, जो मण्डरायल मार्ग पर करीब 6 से 7 किलोमीटर की परिधि में सड़कों पर विचरण करते हुए मिलने वाली भूखी-प्यासी गायों को चारा खिलाती हैं।
जहां भी गाय नजर आती हैं, ये सदस्य वहां जीप से उतर उन्हें चारा डालते हैं। वहीं रणगवां ताल पर टीम के पहुंचते ही बंदर एकत्रित हो जाते हैं। इन बंदरों को केला खिलाए जाते हैं, जबकि चिटियों को बिस्किुट का चूरा करके डाला जाता है। संकट की घड़ी में पशुओं के लिए मददगार बन रही इस टीम के लिए ठेकेदार द्वारिका गुप्ता की ओर से अपनी जीप उपलब्ध कराई हुई है। टीम के इस कार्य को देख लोग भी सराहना करते नजर आते हैं।

डीटीओ भी जुटे हैं सेवा में
आमजन ही नहीं अधिकारी भी मूक वन्यजीवों की सेवा के लिए आगे आए हैं। लॉक डाउन के बीच विभिन्न आवश्यक सेवाओं के लिए वाहनों की व्यवस्था में जुटे जिला परिवहन अधिकारी धर्मपाल आशीवाल ने भी वन्यजीवों के लिए समय निकाल इस टीम के साथ जाते हैं और गायों को चारा खिलाने के साथ बंदरों को केला खिलाते हैं। परिवहन कार्यालय के लिपिक दशरथ सिंह, लेखराज जाटव, राजेश मीना भी उनके साथ पहुंचे।
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